Thursday, December 30, 2021

देशभक्त को हम भूल गये।

 क्यो झूठ बोलते हो साहेब चरखे से आजादी आयी है


जलती रही जोहर में नारियां

 भेड़िये फ़िर भी मौन थे।

 हमें पढाया गया अकबर महान,

तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे।


सड़ती रही लाशें सड़को पर

 गांधी फिर भी मौन थे,

हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी,

तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे


वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है

जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे

किन्तु वो रस्सी कहां है

जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे


जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने

गोली खाई थी |

क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से

आजादी आई थी ||

चरखा हरदम खामोश रहा, और अंत देश

को बांट दिया |

लाखों बेघर,लाखो मर गए, जब गाँधी ने

बंदरबाँट किया ||

जिन्ना के हिस्से पाक गया , नेहरू को

हिन्दुस्तान मिला |

जो जान लुटा गए भारत पर, उन्हे ढंग

का न सम्मान मिला |

इन्ही सियासी लोगों ने, शेखर को भी

आतंकी बतलाया था |

रोया अलफ्रेड पार्क था उस दिन, एक

एक पत्ता थर्राया था ||

जो देश के लिए जिये मरे और फाँसी के

फंदे पर झूल गए |

हमें नेहरु गांधी तो याद रहे, पर अमर

पुरोधा हम भूल गए ||


कैसे मै सम्मान करु गाँधी वाली

सीखो का...!! . .

मै तो कर्जदार हूँ भगत_सिंह

की चीखो का..

दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे ,

हम आजाद है आजाद ही रहेंगे ।

🙏🌹शत शत नमन🌹🙏

Thursday, December 2, 2021

तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

 


*🛕तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग(उत्तराखंड)*


*♦️तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो 3460 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर १,००० वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है।*


*♦️इस मंदिर को पाण्‍डवों ने भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए स्‍थापित किया था। इसके पीछे कथा मिलती है कि कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार से भोलेनाथ पाण्‍डवो से रुष्‍ट थे तभी उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण किया गया था।*


*♦️तुंगनाथ का शाब्दिक अर्थ 'पीक के भगवान' है। इस मंदिर में भगवन शिव के हाथ कि पूजा की जाती है, जो कि वास्तुकला के उत्तर भारतीय शैली का प्रतिनिधित्व करती है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर नंदी भगवान की मूर्ति है, जो भगवान शिव का आरोह है।*


*♦️काला भैरव और व्यास के रूप में लोकप्रिय हिंदू संतों की मूर्तियों भी पांडवों की छवियों के साथ मंदिर में निहित हैं। इसके अलावा, विभिन्न देवी देवताओं के छोटे छोटे मंदिरों को इस मंदिर के आसपास देखा जा सकता है। भारी बर्फबारी की वजह से यह मंदिर नवंबर और मार्च के बीच में बंद रहता है।*