क्यो झूठ बोलते हो साहेब चरखे से आजादी आयी है
जलती रही जोहर में नारियां
भेड़िये फ़िर भी मौन थे।
हमें पढाया गया अकबर महान,
तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे।
सड़ती रही लाशें सड़को पर
गांधी फिर भी मौन थे,
हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी,
तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे
वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है
जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे
किन्तु वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे
जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने
गोली खाई थी |
क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से
आजादी आई थी ||
चरखा हरदम खामोश रहा, और अंत देश
को बांट दिया |
लाखों बेघर,लाखो मर गए, जब गाँधी ने
बंदरबाँट किया ||
जिन्ना के हिस्से पाक गया , नेहरू को
हिन्दुस्तान मिला |
जो जान लुटा गए भारत पर, उन्हे ढंग
का न सम्मान मिला |
इन्ही सियासी लोगों ने, शेखर को भी
आतंकी बतलाया था |
रोया अलफ्रेड पार्क था उस दिन, एक
एक पत्ता थर्राया था ||
जो देश के लिए जिये मरे और फाँसी के
फंदे पर झूल गए |
हमें नेहरु गांधी तो याद रहे, पर अमर
पुरोधा हम भूल गए ||
कैसे मै सम्मान करु गाँधी वाली
सीखो का...!! . .
मै तो कर्जदार हूँ भगत_सिंह
की चीखो का..
दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे ,
हम आजाद है आजाद ही रहेंगे ।
🙏🌹शत शत नमन🌹🙏