Saturday, September 17, 2022

साँप सीढ़ी नहीं मोक्षपटनम है।

 सनातन धर्म एक जीवन पद्धति है ....हमारे पूर्वजो द्वारा इसे समझाने का सरल तरीका ..आप भी अपने पूर्वजों के प्रति नमन करने को मजबूर हो जायेगे। 


       13 वीं सदी के कवि संत "ज्ञान देव" ने "मोक्षपटनम"  नामक बच्चों का खेल बनाया । अंग्रेजों ने बाद में इसे सांप _ और _ सीढ़ी का नाम दिया और पूरे ज्ञान को धूमिल कर दिया....  मूल मोक्षपटनम के बजाय!!

         मूल एक सौ वर्ग खेल बोर्ड में, 12 वां वर्ग विश्वास था, 51 st वर्ग विश्वसनीयता थी, 57 वीं वर्ग उदारता थी, 76 वीं वर्ग ज्ञान था, और 78 दसवीं वर्ग की तपस्या थी । ये वे वर्ग थे जहां सीढ़ी मिली और एक तेजी से आगे बढ़ सकता था ।

        पहला वर्ग अवज्ञा के लिए था, अहंकार के लिए 44 वां वर्ग, अश्लीलता के लिए 49 वां वर्ग, चोरी के लिए दूसरा वर्ग, झूठ बोलने के लिए 58 वां वर्ग, 62 मादकता के लिए दूसरा वर्ग, कर्ज के लिए 69 वां वर्ग, क्रोध के लिए 84 वां वर्ग, लालच के लिए दूसरा वर्ग, गर्व के लिए 95 वां वर्ग, हत्या के लिए तीसरा वर्ग और वासना के लिए 99 वां वर्ग । ये वो वर्ग थे, जहां सांप अपने मुंह से खुले हुए इंतजार कर रहा था । 100 वां वर्ग निर्वाण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है । 


🚩🚩

No comments:

Post a Comment