Tuesday, December 20, 2022

धर्मरक्षापञ्चाङ्गम् panchang 2023-24

 *🚩जय श्री राम🚩*



सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए धर्मरक्षापञ्चाङ्गम् को प्रकाशित किया जाता है। 🚩यह पंचांग सभी के लिए उपयोगी एवं सरल है अतः आपलोग इस पंचांग का अध्ययन और व्यवहार करें तथा अपने मित्रों के पास भेजें और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करें|


          *धर्मरक्षापञ्चाङ्गम्,* 

          *प्रस्तुति- पं. श्री संतोष तिवारी*  



 पञ्चाङ्ग प्राप्त करने के लिए निम्न फॉर्मेट को भरें।👇👇



https://forms.gle/pz8PRFXFPRnXvpuP6



👆👆👆यदि उपरोक्त लिंक नहीं खुले तो मेरे पास या अपने मित्रों के पास इस पोस्ट को भेजें। जब आप इसे मेरे पास या किसी अन्य मित्रों को भेजते हो तो यह लिंक नीला हो जायेगा। अब लिंक पर क्लिक करें, लिंक खुलेगा।


*🏹🏹🚩जय श्री राम🚩🏹🏹*


*धर्मरक्षापञ्चाङ्गम् २०२३-२४*


*उद्देश्य-* सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो और हमारा भारतवर्ष पुनः विश्व का पथप्रदर्शक बने। 


*किसके लिए उपयोगी है?*

यह पञ्चाङ्ग बच्चों, बड़ों-बुजुर्गों, माताओं, बहनों आदि सभी के लिए उपयोगी एवं सरल है।

*क्या है इसमें?*

इस पञ्चाङ्ग में काम्य प्रयोग, ग्रहण विवरण, राशिफल, वर्षफल, स्पष्टग्रहा:, पञ्चाङ्ग, मुहूर्त, व्रत-त्योहार, सुभाषित श्लोक, नीति विषयक श्लोक, विद्यार्थी के लिए ज्ञानप्रद उपदेश, सनातन संस्कृति का परिचय, वास्तुशास्त्र, कर्मकाण्ड, पूजा-पाठ के नियम,क्या भक्षण करना चाहिए और क्या नहीं, धर्मशास्त्र आदि से सम्बन्धित अधिकाधिक आवश्यक जानकारी अति सरलता पूर्वक दिया गया है।


 अतः आपलोग इस पंचांग का अध्ययन और व्यवहार करें तथा अपने मित्रों के पास भेजें और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करें|


          *धर्मरक्षापञ्चाङ्गम्,* 

          *प्रस्तुति- पं. श्री संतोष तिवारी*  



 पञ्चाङ्ग प्राप्त करने के लिए निम्न फॉर्मेट को भरें।👇👇



https://forms.gle/pz8PRFXFPRnXvpuP6



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Saturday, December 17, 2022

मन की अमीरी

 (((( मन की अमीरी ))))

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बहुत सालों के बाद दो दोस्त रास्ते में मिले।  

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धनवान दोस्त ने अपनी आलीशान गाड़ी साइड में रोकी और गरीब दोस्त से कहा चल इस गार्डन में बैठकर दिल की बातें करते हैं।  

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चलते चलते उस अमीर दोस्त ने अपने गरीब दोस्त को बहुत गर्व से कहा..

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आज तेरे और मेरे में बहुत फर्क है... हम दोनों एक साथ पढ़े, साथ ही बड़े हुए लेकिन देखों आज मैं कहाँ पहुच गया और तूँ तो बहुत पीछे रह गया ?

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चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया। 

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अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?  

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गरीब दोस्त ने कहा, तुझे कुछ आवाज सुनाई दी ?

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अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पाँच का सिक्का उठाकर बोला ये तो मेरी जेब से गिरे पाँच के सिक्के की आवाज़ थी। 

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लेकिन गरीब दोस्त एक काँटे की छोटी सी झाड़ी की तरफ गया, जिसमें एक तितली फँसी हुई थी और छूटने के लिये पँख फडफडा रही थी।  

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गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से काँटों की झाड़ी से बाहर निकला और आकाश में उड़ने के लिये आज़ाद कर दिया।

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अमीर दोस्त ने बड़ी हैरानी से पुछा, तुझे इस तितली की आवाज़ कैसे सुनाई दी?

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गरीब दोस्त ने बड़ी नम्रता से कहा  "तुझ में और मुझ में बस यही फर्क है तुझे केवल "धन" की  आवाज़ सुनाई देती है और.. 

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मुझे  दुखी "मन" की आवाज़ें भी सुनाई देती हैं, जिससे मुझे उनकी सेवा करने का मौका मिलता है ।

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                     "हे प्रभु" ! 

         मुझे इतनी ऊँचाई न देना कि 

      अपनी धरती ही पराई लगने लगे।

         इतनी खुशियाँ भी ना देना कि

     दूसरों के दुःखों पर हँसी आने लगे।

        मुझे नहीं चाहिए ऐसा भाव कि 

किसी की तरक्की को देख जल-जल मरूँ।

           मुझे ऐसा ज्ञान भी न देना, 

        जिसका अभिमान होने लगे

        मुझे ऐसी चतुराई भी न देना 

          जो लोगों को छलने लगे 

              मुझे ख्वाहिश नहीं 

   बहुत मशहूर या बहुत अमीर होने की। 

         एक नेक इन्सान के रूप में

            सब मुझे पहचानते हों 

           बस इतना ही काफी है।

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 जय श्री राम🚩

Wednesday, September 21, 2022

वक्फ अधिनियम 1995

 *वक्फ अधिनियम 1995* (विशेषज्ञों द्वारा व्याख्या की गई)


 इस मैसेज में आपको सरल भाषा में जानने को मिलेगा:-


 *वक्फ या वक्फ बोर्ड क्या है?*

 *वक्फ अधिनियम 1995 क्या है?*

 *वक्फ बोर्डों के क्या अधिकार हैं?*

 *क्या वक्फ बोर्ड आपके घर को अपनी संपत्ति के रूप में दावा कर सकता है?*


 *इस संदेश को पढ़ने के बाद, आप एक विशेष राजनीतिक दल से नफरत करेंगे और यह जानकर चौंक जाएंगे कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा कृत्य मौजूद है।*


*किसी भी मुस्लिम देश में ऐसा कानून नहीं है।*


 *वक्फ सिस्टम क्या है* ?


 *यह मुस्लिम ब्रदरहुड चैरिटी सिस्टम का एक हिस्सा है।*


मान लीजिए अहमद 80 साल के हैं। उनके पास दो फ्लैट हैं। मरने से पहले वह एक फ्लैट अपने समुदाय के लिए दान करना चाहता है, इसलिए उसने एक फ्लैट वक्फ को दान कर दिया। वह दान की गई संपत्ति अब अल्लाह की है। वक्फ बोर्ड उस फ्लैट का मालिक नहीं बल्कि केयरटेकर है और वे उस फ्लैट का इस्तेमाल मुस्लिम स्कूल, हॉस्टल, कम्युनिटी हॉल या अपने समुदाय के लिए कर सकते हैं।

 *तो वक्फ अल्लाह की जागीर है, जो मुसलमानों के लिए दान किया जाता है।*


 *हालांकि समय के साथ यह अर्थ बदल गया।*


 *1947 में हिंदू पाकिस्तान में अपनी जमीन छोड़कर भारत आ गए और मुसलमान भारत में अपनी जमीन छोड़कर पाक चले गए।*

 पाक ने पाकिस्तान में हिंदुओं की सारी जमीन जब्त कर ली और वह जमीन मुसलमानों और राज्य सरकार को दे दी, लेकिन गांधी और नेहरू ने इसके विपरीत किया।


 *उन्होंने कहा कि जो मुसलमान पाक गए हैं, उनकी किसी भी भूमि को कोई भी हिंदू नहीं छुएगा। उन्होंने वह सारी जमीन बटोर ली और वक्फ को दे दी।*

 वक्फ बोर्ड 1954 अधिनियम उस समय कठोर नहीं था, लेकिन वास्तविक परिवर्तन 1995 में आया।


 *कांग्रेस नेता पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने वक्फ अधिनियम 1995 लाया और उन्हें भूमि अधिग्रहण करने के लिए असीमित अधिकार दिए।*


 *आइए बात करते हैं वक्फ अधिनियम के प्रावधान क्या हैं:*


 *धारा 3 (आर)*

 *वक्फ क्या है* - मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए कोई संपत्ति।


 *इसलिए मुस्लिम कानून के अनुसार (भारतीय कानून नहीं) अगर उन्हें लगता है कि जमीन मुस्लिम की है तो वह वक्फ हो जाती है।*

 तो मान लीजिए आपने 2010 में रमेश से जमीन खरीदी थी और रमेश ने 1965 में सलीम से जमीन खरीदी थी तो वक्फ बोर्ड दावा कर सकता है कि 1964 में सलीम ने वह जमीन वक्फ को दी थी और अब वह जमीन उनकी है।

 अब आप क्या कर सकते हैं?

 आप कोर्ट नहीं जा सकते........आपको स्टेट वक्फ बोर्ड जाना है।


 *वक्फ बोर्ड क्या है* ?

 *भारत में एक केंद्रीय वक्फ बोर्ड और 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं।*


 *वक्फ बोर्ड सात व्यक्तियों की एक समिति है। वे सभी व्यक्ति मुसलमान होने चाहिए।*

*कांग्रेस पार्टी ने मंदिर अधिनियम लाया और राज्य द्वारा सभी मंदिरों पर कब्जा कर लिया और कहा कि एक गैर हिंदू भी मंदिर बोर्ड का सदस्य बन सकता है लेकिन वही कांग्रेस ने वक्फ अधिनियम लाया, उन्हें स्वायत्त रखा और लिखा कि कोई भी गैर मुस्लिम वक्फ बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकता है।*


 *वक्फ बोर्ड में एक सर्वेक्षक होता है जो सभी जमीनों का सर्वेक्षण करता रहता है और अगर उसे लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो वक्फ नोटिस जारी कर सकता है।*


 *धारा 4 सर्वेक्षक को असीमित शक्ति प्रदान करती है।*


 *वक्फ का नेतृत्व सीईओ करते हैं जो मुस्लिम होना चाहिए। धारा 28 वक्फ सीईओ को कलेक्टर को आदेश देने की शक्ति देती है।*

 इसलिए यदि आपको कोई नोटिस मिलता है, तो आपको सभी चित्र, रजिस्ट्री, कागज ले जाने होंगे और उन्हें यह समझाने के लिए वक्फ बोर्ड के पास भागना होगा कि यह आपकी जमीन है।

 (अर्थात उसी बोर्ड को जिसने आपको नोटिस भेजा है)।


 *अब वक्फ अधिनियम का सबसे कठोर लेख आता है,*

 *अनुच्छेद 40*। यह लेख भयानक है

 चाहे आपकी जमीन हो या वक्फ जमीन यह वक्फ बोर्ड द्वारा तय किया जाएगा और उनका फैसला अंतिम होगा।


 * इसलिए

 *वक्फ पुलिस है*।

 *वक्फ वकील है*।

 *वक्फ जज है*।


 ** तो अगर आप वक्फ को संतुष्ट नहीं कर सकते कि यह आपकी जमीन है तो आपको अपनी जमीन खाली करने के लिए कहा जाएगा।

 आप किसी कोर्ट में नहीं जा सकते।

 आप केवल वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट जा सकते हैं।

 हर राज्य में केवल एक या दो वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट हैं। तो आपको राजधानी जाना होगा और वहां अपना केस दर्ज करना होगा।

 धारा 83 इसी ट्रिब्यूनल के बारे में है।


 ट्रिब्यूनल में दो न्यायाधीश (कोई धर्म निर्दिष्ट नहीं) और एक प्रतिष्ठित मुस्लिम होगा। आप ट्रिब्यूनल में अपना केस लड़ते हैं और मान लेते हैं कि आप ट्रिब्यूनल में भी अपना केस हार जाते हैं तो आपके लिए क्या विकल्प हैं? ...... और यहाँ धारा 85 में एक और बम आता है।


 *धारा 85 कहती है कि न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम होता है।*

*कोई भी सिविल कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट) ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश को नहीं बदल सकता है। (हालांकि बाद में मई 2022 में राजस्थान जिंदल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस खंड को रद्द कर दिया था)।*


 *सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे श्रेष्ठ कोई न्यायालय नहीं है और वे किसी भी निर्णय में हस्तक्षेप कर सकते हैं।*


 *2005 में, यूपी वक्फ बोर्ड ने एएसआई के खिलाफ ताजमहल के स्वामित्व का दावा किया। हालांकि वे सुप्रीम कोर्ट में केस हार गए।*


 *उन्होंने ज्ञानवापी मामले में भी वक्फ अधिनियम के प्रावधानों का इस्तेमाल किया लेकिन वहां भी वे केस हार गए।*


 *मुद्दा अब शक्तिशाली है कि लोग महंगे वकील रख सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं लेकिन आम आदमी का क्या?*


 *तमिलनाडु में वक्फ ने हाल ही में थिरुचेंदुरई के एक पूरे गांव पर दावा किया, जिसमें 1500 साल से अधिक पुराना मंदिर शामिल था।*


 *जब वक्फ किसी जमीन पर दावा करता है तो उसे साबित करने की जिम्मेदारी उनकी नहीं होती। स्वामित्व साबित करना पीड़ित का दायित्व बन जाता है।*


 *प्रश्न यह है कि धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक कृत्य कैसे हो सकता है?.....*


 1. हिंदुओं, ईसाइयों और सिखों के लिए और केवल मुसलमानों के लिए ऐसा कोई कार्य क्यों नहीं है?


 2. यदि कोई ईसाई, सिख, जैन किसी हिंदू भूमि का अतिक्रमण करता है या इसके विपरीत, तो उन्हें दीवानी अदालत में जाना पड़ता है लेकिन अगर कोई मुस्लिम हिंदू या किसी अन्य धर्म की भूमि का अतिक्रमण करता है तो उन्हें वक्फ ट्रिब्यूनल जाना होगा?


 *यह विशेषाधिकार सिर्फ एक धर्म को ही क्यों ?*


 *इस कठोर अधिनियम के कारण, वक्फ 6 लाख संपत्ति के साथ 12 लाख करोड़ से अधिक के बाजार मूल्य के साथ भारत का सबसे धनी निकाय बन गया है।*


 *वक्फ इस जमीन को किराए पर देता है और इससे करोड़ों रुपये कमाता है जो उनके धार्मिक उत्थान, लड़ाई के मामलों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।*

 इसके अलावा सरकार उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करती है।


 *दूसरी तरफ सरकार हिंदू मंदिरों से हर साल एक लाख करोड़ रुपये लेती है जो गैर हिंदू कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं जबकि दूसरी तरफ सरकारी धन वक्फ के लिए जो पहले से ही एक समृद्ध निकाय है।*


 *वक्फ अधिनियम को समाप्त करने के लिए सरकार को तत्काल आवश्यकता है। सभी धर्मों के लिए एक ही कार्य होना चाहिए।*

 आप पूरा वक्फ एक्ट 95 यहां पढ़ सकते हैं...


 indiankanoon.org/doc/631210/

 या

 अल्पसंख्यकअफेयर्स.gov.in/en/acts

 महत्वपूर्ण खंड: 3 (आर), 4,6,7,11,19,23, 23,29,30,40,77,83,85,99


 *वक्फ सदस्यों को वक्फ फंड द्वारा वेतन और भत्ते प्रदान किए जाते हैं।

 वक्फ के पास प्रशासनिक, पर्यवेक्षी और न्यायिक शक्तियां हैं ।

 लेकिन जैसे-जैसे IAS, IPS में जनसांख्यिकी परिवर्तन होगा, वक्फ अधिनियम दस गुना अधिक घातक हो जाएगा।

 वक्फ अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।


 * भारतीय संविधान किसी भी ऐसे कार्य की अनुमति नहीं देता है जो धार्मिक हो और अन्य धर्मों के अधिकार का अतिक्रमण करता हो।


 *वक्फ एक्ट 1995 को खत्म करें*

Saturday, September 17, 2022

साँप सीढ़ी नहीं मोक्षपटनम है।

 सनातन धर्म एक जीवन पद्धति है ....हमारे पूर्वजो द्वारा इसे समझाने का सरल तरीका ..आप भी अपने पूर्वजों के प्रति नमन करने को मजबूर हो जायेगे। 


       13 वीं सदी के कवि संत "ज्ञान देव" ने "मोक्षपटनम"  नामक बच्चों का खेल बनाया । अंग्रेजों ने बाद में इसे सांप _ और _ सीढ़ी का नाम दिया और पूरे ज्ञान को धूमिल कर दिया....  मूल मोक्षपटनम के बजाय!!

         मूल एक सौ वर्ग खेल बोर्ड में, 12 वां वर्ग विश्वास था, 51 st वर्ग विश्वसनीयता थी, 57 वीं वर्ग उदारता थी, 76 वीं वर्ग ज्ञान था, और 78 दसवीं वर्ग की तपस्या थी । ये वे वर्ग थे जहां सीढ़ी मिली और एक तेजी से आगे बढ़ सकता था ।

        पहला वर्ग अवज्ञा के लिए था, अहंकार के लिए 44 वां वर्ग, अश्लीलता के लिए 49 वां वर्ग, चोरी के लिए दूसरा वर्ग, झूठ बोलने के लिए 58 वां वर्ग, 62 मादकता के लिए दूसरा वर्ग, कर्ज के लिए 69 वां वर्ग, क्रोध के लिए 84 वां वर्ग, लालच के लिए दूसरा वर्ग, गर्व के लिए 95 वां वर्ग, हत्या के लिए तीसरा वर्ग और वासना के लिए 99 वां वर्ग । ये वो वर्ग थे, जहां सांप अपने मुंह से खुले हुए इंतजार कर रहा था । 100 वां वर्ग निर्वाण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है । 


🚩🚩

क्षीरसागर का आश्चर्य स्वरूप

 अद्भुत-अकल्पनीय-अविश्वसनीय




हम सबने सुना है और फोटो में देखा है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग के ऊपर लेटे हुए हैं .


लेकिन, कोई नहीं जानता था कि आखिर ये क्षीर सागर है कहाँ..


कोई कैस्पियन सागर को क्षीर सागर बताता था तो कोई अटलांटिक महासागर के झाग को क्षीर सागर बताता था..

तो, कोई  कैलाश पर्वत के पास क्षीर सागर की मौजूदगी बताते थे.


लेकिन, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि....


नासा के खगोलविदों ने अंतरिक्ष में तैरते हुए एक विशाल महासागर की खोज की है जो पृथ्वी के सभी महासागरों से करोड़ो गुणा बड़ा है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी से 140 ट्रिलियन गुणा अधिक पानी है.

(1 ट्रिलियन = 1 लाख करोड़)


अंतरिक्ष में पानी का ये असीमित महासागर हमारी पृथ्वी से लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है.

(1 प्रकाशवर्ष = 1 साल में प्रकाश जितनी दूरी तय कर पाती है)


जहाँ यह सैकड़ों प्रकाश-वर्ष के क्षेत्र में फैला हुआ है.


जिसकी खोज खगोलविदों की दो टीमों ने की है... 


इस महासागर को क्वासर के गैसीय क्षेत्र में खोजा गया है...

जो एक ब्लैक होल द्वारा संचालित आकाशगंगा के केंद्र में एक शानदार कॉम्पैक्ट क्षेत्र है.

(उस महासागर का फोटो संलग्न है)


हालांकि, यह विशेषज्ञों के लिए आश्चर्य की बात नहीं है... 

लेकिन, इससे पहले कभी भी पानी की खोज नहीं की गई थी.


क्वासर से प्रकाश ( विशेष रूप से, लिंक्स नक्षत्र में एपीएम 08279 + 5255 क्वासर) को पृथ्वी तक पहुंचने में 12 अरब वर्ष लगे...


जिसका अर्थ है कि पानी का यह द्रव्यमान उस समय से अस्तित्व में है जब ब्रह्मांड केवल 1.6 अरब वर्ष पुराना था.


इसके लिए एक टीम ने हवाई में कैल्टेक सबमिलिमीटर वेधशाला में जेड-स्पेक उपकरण का इस्तेमाल किया.


जबकि दूसरे ने फ्रांसीसी आल्प्स में पठार डी ब्यूर इंटरफेरोमीटर का इस्तेमाल किया.


ये सेंसर मिलीमीटर और सबमिलीमीटर तरंग दैर्ध्य का पता लगाते हैं... 


जिससे, प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद गैसों एवं जल वाष्प के विशाल जलाशय का पता लगाया जा सकता है.


क्वासर में पानी के कई वर्णक्रमीय उंगलियों के निशान की खोज ने शोधकर्ताओं को जलाशय के विशाल परिमाण की गणना करने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान किया.


अगर इतने सारे टेक्निकल पॉइंट को छोड़ दिया जाए तो एक लाइन में कह सकते हैं कि... 

हमारे वेदों एवं विष्णु पुराण में अंतरिक्ष में मौजूद इस तरह के जलाशय (क्षीर सागर) का वर्णन उस समय से है...


जब बाकी दुनिया को ये तक नहीं मालूम था कि धरती चपटी है या गोल है.


और, नासा की इस पुष्टि के बाद... आखिर हमें हमारे धर्मग्रंथों एवं खुद के सनातनी होने पर क्यों गर्व नहीं होना चाहिए ???


हरि ॐ...!! 🚩


फोटो एवं डिटेल : साभार NASA

Thursday, July 7, 2022

देवभाषा संस्कृत

 • संस्कृत भाषा का चमत्कार देखिए ।


अहिः = सर्पः


अहिरिपुः = गरुडः


 अहिरिपुपतिः = विष्णुः


अहिरिपुपतिकान्ता = लक्ष्मीः


अहिरिपुपतिकान्तातातः = सागरः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धः = रामः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ता = सीता


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरः = रावणः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयः = मेघनादः


 अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्ता = लक्ष्मणः =


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदाता = हनुमान्


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजः = अर्जुनः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसख = श्रीकृष्णः

 अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतः = प्रद्युम्नः

 अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतः = अनिरुद्धः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्ता = उषा


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातः = बाणासुरः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यः = शिवः

 अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्ता = पार्वती


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापिता = हिमालयः


अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापितृशिरोवहा = गङ्गा, सा मां पुनातु इति अन्वयः 


● विश्व की किसी अन्य भाषा में इतना सामर्थ्य नहीं है ।


संस्कृत भाषा का सामर्थ देखिए शायद ही कोई भाषा होगी जो इतनी समर्थवान होगी, इसीलिए इसको देव भाषा भी कहा जाता है।🌸


आपसे एक निवेदन है इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं🙏

Monday, July 4, 2022

अपनी सभ्यता की ओर ध्यान दें

 *यह कहानी किसी ने मुझे भेजी है ; अच्छी लगी तो सोचा आप सबको भी बताऊँ* 


कृपया पढ़ें : ‐


*वासु भाई और वीणा बेन* गुजरात के एक शहर में रहते हैं; आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे 


3 दिन का अवकाश था; पेशे से चिकित्सक हैं 


लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे। परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते हैं 

           

आज उनका इंदौर- उज्जैन जाने का विचार था


दोनों जब साथ-साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, वहीं पर प्रेम अंकुरित हुआ था और बढ़ते-बढ़ते वृक्ष बना 


दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया


2 साल हो गए,अभी संतान कोई है नहीं, इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते हैं 

             

विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया, बैंक से लोन लिया 


वीणाबेन स्त्री-रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर आफ मैडिसिन हैं 


इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला


यात्रा पर रवाना हुए, आकाश में बादल घुमड़ रहे थे 


मध्य-प्रदेश की सीमा लगभग 200 कि मी दूर थी; बारिश होने लगी थी


म.प्र. सीमा से 40 कि.मी. पहले छोटा शहर पार करने में समय लगा 


कीचड़ और भारी यातायात में बड़ी कठिनाई से दोनों ने रास्ता पार किया


भोजन तो मध्यप्रदेश में जाकर करने का विचार था : परंतु *चाय का समय* हो गया था


उस छोटे शहर से ४-५ कि.मी. आगे निकले


सड़क के किनारे एक छोटा सा मकान दिखाई दिया;जिसके आगे वेफर्स के पैकेट लटक रहे थे 


उन्होंने विचार किया कि यह कोई होटल है 


वासुभाई ने वहां पर गाड़ी रोकी, दुकान पर गए, कोई नहीं था 


आवाज लगाई ! अंदर से एक महिला  निकल कर आई 


उसने पूछा, "क्या चाहिए भाई ?"

           

वासुभाई ने दो पैकेट वेफर्स के लिए और "कहा बेन !! दो कप चाय बना देना ; थोड़ी जल्दी बना देना, हमको दूर जाना है"


पैकेट लेकर गाड़ी में गए ; दोनों ने पैकेट के वैफर्स का नाश्ता किया ; चाय अभी तक आई नहीं थी 

         

दोनों कार से निकल कर दुकान में रखी हुई कुर्सियों पर बैठे 


वासुभाई ने फिर आवाज लगाई

          

थोड़ी देर में वह महिला अंदर से आई और बोली, "भाई! बाड़े में तुलसी लेने गई थी, तुलसी के पत्ते लेने में देर हो गई ; अब चाय बन रही है"


थोड़ी देर बाद एक प्लेट में दो मैले से कप लेकर वह गरमा गरम चाय लाई 

            

मैले कप देखकर वासु भाई एकदम से  अपसेट हो गए और कुछ बोलना चाहते थे ; परंतु वीणाबेन ने हाथ पकड़कर उन्हें रोक दिया

            

चाय के कप उठाए; उनमें से अदरक और तुलसी की सुगंध निकल रही थी 


दोनों ने चाय का एक  सिप लिया 


ऐसी स्वादिष्ट और सुगंधित चाय जीवन में पहली बार उन्होंने पी : उनके मन की  हिचकिचाहट दूर हो गई


उन्होंने महिला को चाय पीने के बाद पूछा, कितने पैसे ?


महिला ने कहा, "बीस रुपये"


वासुभाई ने सौ का नोट दिया 

          

महिला ने कहा कि भाई छुट्टा नहीं है; 20 ₹ छुट्टा दे दो 


वासुभाई ने बीस रु का नोट दिया 


महिला ने सौ का नोट वापस किया 


वासुभाई ने कहा कि हमने तो वैफर्स के पैकेट भी लिए हैं !

         

महिला बोली, "यह पैसे उसी के हैं ; चाय के नहीं" 


अरे! चाय के पैसे क्यों नहीं लिए ?


जवाब मिला *हम चाय नहीं बेंचते हैं*  यह होटल नहीं है


"फिर आपने चाय क्यों बना दी ?"


"अतिथि आए !! आपने चाय मांगी, हमारे पास दूध भी नहीं था ; यह बच्चे के लिए दूध रखा था, परंतु आपको मना कैसे करते; इसलिए इसके दूध की चाय बना दी"


*अब बच्चे को क्या पिलाओगे*


"एक दिन दूध नहीं पिएगा तो मर नहीं जाएगा"  


इसके पापा बीमार हैं; वह शहर जाकर दूध ले आते, पर उनको कल से बुखार है; आज अगर ठीक हो गऐ तो कल सुबह जाकर दूध ले आएंगे" 

            

वासुभाई उसकी बात सुनकर सन्न  रह गये 


इस महिला ने होटल न होते हुए भी अपने बच्चे के दूध से चाय बना दी और वह भी  केवल इसलिए कि मैंने कहा था ; अतिथि रूप में आकर

 

*संस्कार और सभ्यता* में महिला मुझसे बहुत आगे है

            

उन्होंने कहा कि हम दोनों डॉक्टर हैं : आपके पति कहां हैं 


महिला उनको भीतर ले गई ; अंदर गरीबी पसरी हुई थी


एक खटिया पर सज्जन सोए हुए थे ; बहुत दुबले पतले थे 

           

वासुभाई ने जाकर उनके माथे पर हाथ रखा ; माथा और हाथ गर्म हो रहे थे और कांप भी रहे थे  


वासुभाई वापस गाड़ी में गए; दवाई का अपना बैग लेकर आए; उनको दो-तीन टेबलेट निकालकर खिलाई और कहा:- "इन गोलियों से इनका रोग ठीक नहीं होगा"

          

मैं पीछे शहर में जा कर इंजेक्शन और दवाई की बोतल ले आता हूं 


वीणाबेन को उन्होंने मरीज के पास बैठने को कहा


गाड़ी लेकर गए, आधे घंटे में शहर से बोतल, इंजेक्शन ले कर आए और साथ में दूध की थैलियां  भी लेकर आये 

             

मरीज को इंजेक्शन लगाया, बोतल चढ़ाई और जब तक बोतल लगी दोनों वहीं बैठे रहे 


एक बार और तुलसी अदरक की चायबनी


दोनों ने चाय पी और उसकी तारीफ की


जब मरीज 2 घंटे में थोड़े ठीक हुआ तब वह दोनों वहां से आगे बढ़े 

     

3 दिन इंदौर-उज्जैन में रहकर, जब लौटे तो उनके बच्चे के लिए बहुत सारे खिलौने और दूध की थैलियां लेकर आए 

           

वापस उस दुकान के सामने रुके; 


महिला को आवाज लगाई तो दोनों  बाहर निकले और उनको देखकर बहुत  खुश हुए 


उन्होंने कहा कि आपकी दवाई से दूसरे दिन ही बिल्कुल ठीक हो गये 

             

वासुभाई ने बच्चे को खिलोने दिए ; दूध के पैकेट दिए


फिर से चाय बनी, बातचीत हुई, अपना पन स्थापित हुआ। 


वासुभाई ने अपना एड्रेस कार्ड देकर कहा, "जब कभी उधर आना हो तो जरूर मिलना


और दोनों वहां से अपने शहर की ओर लौट गये 

         

शहर पहुंचकर वासु भाई ने उस महिला  की बात याद रखी; फिर एक फैसला लिया :

            

अपने अस्पताल में रिसेप्शन पर बैठे हुए व्यक्ति से कहा कि अब आगे से जो भी मरीज आयें: केवल उनका नाम लिखना, फीस नहीं लेना ; फीस मैं खुद लूंगा 

            

और जब मरीज आते तो अगर वह गरीब मरीज होते तो उन्होंने उनसे फीस  लेना बंद कर दिया 


केवल संपन्न मरीज  देखते तो ही उनसे फीस लेते 

             

धीरे-धीरे शहर में उनकी प्रसिद्धि फैल गई  


दूसरे डाक्टरों ने सुना तो उन्हें लगा कि इससे तो हमारी प्रैक्टिस भी कम हो जाएगी और लोग हमारी निंदा करेंगे  


उन्होंने एसोसिएशन के अध्यक्ष से कहा :

          

एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. वासुभाई से मिलने आए और उन्होंने कहा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ?

              

तब वासुभाई ने जो जवाब दिया उसको सुनकर उनका मन भी पुलकित हो गया


वासुभाई ने कहा कि मैं मेरे जीवन में हर परीक्षा में मैरिट में पहली पोजीशन पर आता रहा हूँ ; एम.बी.बी.एस. में भी, एम.डी. में भी गोल्ड मेडलिस्ट बना परंतु *सभ्यता, संस्कार और अतिथि सेवा* में वह गांव की महिला जो बहुत गरीब है, वह मुझसे आगे निकल गयी : तो मैं अब पीछे कैसे रहूंँ? 


इसलिए मैं : 

*अतिथि-सेवा और मानव-सेवा में भी गोल्ड मैडलिस्ट बनूंगा* 


इसलिए मैंने यह सेवा प्रारंभ की है 


और मैं यह कहता हूँ कि हमारा व्यवसाय मानव सेवा का ही है 


सारे चिकित्सकों से भी मेरी अपील है कि वह सेवा-भावना से काम करें


गरीबों की निशुल्क सेवा करें, उपचार करें 


यह व्यवसाय धन कमाने का नहीं है 


*परमात्मा ने हमें मानव-सेवा का अवसर प्रदान किया है*


एसोसिएशन के अध्यक्ष ने वासुभाई को प्रणाम किया और धन्यवाद देकर उन्होंने कहा कि मैं भी आगे से ऐसी ही भावना रखकर चिकित्सा-सेवा करुंगा


*कभी-कभार ऐसी पोस्ट भी वाट्सएप पर आ जाती हैं और फॉरवर्ड करने को मजबूर कर देती हैं*


 🌹🌹🙏🙏🕉️🙏🙏🌹🌹

Thursday, June 16, 2022

ये कैसा विवाह है?

 *क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं, क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु की पार्टी को विवाह कहते हैं ? डीजे बजाने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं, घर में सात आठ दिन धूम मची रहे उसको विवाह कहते हैं? दारू की 20-25 पेटी लग जाए उसको विवाह कहते हैं ? किसको विवाह कहते हैं?*

*विवाह उसे कहते हैं जो बेदी के ऊपर मंडप के नीचे पंडित जी मंत्रोच्चारण के साथ देवताओं का आवाहन करके विवाह की वैदिक रस्मों को कराने को विवाह कहते हैं।*


 *लोग कहते हैं कि हम आठ 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी मांगते हैं तो कहते हैं अरे वह तो भूल गए जो सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए विवाह की सामग्री भूल गए और वैसे तुम 10 महीने से विवाह की कोनसी तैयारी कर रहे हैं।*

*विवाह - नहीं साहब आप दिखावे की तैयारी कर रहे हो कर्जा ले लेकर दिखावा कर रहे हो हमारे ऋषियों ने कहा है जो जरूरी काम है वह करो । ठीक है अब तक लोगों की पार्टियां खाई है तो खिलानी भी पड़ेगी ठीक है समय के साथ रीति रिवाज बदल गए हैं मगर दिखावे से बचे।*

*मैं कहना चाहता हूं आज आप दिखावा करना चाहते हो करो खूब करो मगर जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहते हैं वह काम गौण ना हो जाऐ, 6 घंटे नाचने में लगा देंगे, 4 घंटे मेहमानो से मिलने में लगा देंगे', 3 घंटे जयमाला में लगा देंगे, 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडितजी जी जल्दी करो जल्दी करो , पंडित जी भी बेचारे क्या करें वह भी कहते है सब स्वाहा स्वाहा जब तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो तो पूरी रात जगना पंडित जी के लिए जरूरी है क्या उन्हें भी अपना कोई दूसरा काम ढूंढना है उन्हें भी अपनी जीविका चलानी है, मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है। मेरा कहना यह है कि आप अपने सभी नाते, रिश्तेदार, दोस्त ,भाई, बंधुओं को कहो कि आप जो यह फेरों का काम है वह किसी मंदिर, गौशाला, आश्रम या धार्मिक स्थल पर किसी पवित्र स्थान पर करें ।*

  *जहां दारू पीगई हों जहां हड्डियां फेंकी गई हों क्या उस मैरिज हाउस उह पैलेस कंपलेक्स मैं देवता आएंगे, आशीर्वाद देने के लिए, आप हृदय से सोचिए क्या देवता वहां आपको आशीर्वाद देने आऐंगे, आपको नाचना कूदना, खाना-पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करे मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति रिवाज होने चाहिए , और यह शुभ कार्य किसी पवित्र स्थान पर करें। जिस मै गुरु जन आवें, घर के बड़े बुजुर्गों का जिसमें आशीर्वाद मिले ।*

*आप खुद विचार करिये हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आये और अपने ठाकुर को भूल जाऐं अपने भगवान को भूलजाऐं अपने कुल देवताओं को भूलजाये।*

*मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि विवाह नामकरण अन्य जो धार्मिक उत्सव है वह शराब के साथ संपन्न ना हो उन में उन विषय वस्तुओं को शामिल ना करें जो धार्मिक कार्यों में निषेध है ।*

Friday, April 15, 2022

शिखा (चोटी) का महत्व

 *💠🛑 शिखा (चोटी) 🛑💠*

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*🔶 शिखा का महत्त्व विदेशी जान गए, पर हिन्दू भूल गए । हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिद्धान्त, छोटी से छोटी बात भी अपनी जगह पूर्णतया वैज्ञानिक एवं कल्याणकारी है । छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण एवं विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती है । शिखा का त्याग करना मानो अपने कल्याण का त्याग करना है । जैसे घड़ी के छोटे पुर्जे की जगह बडा पुर्जा काम नहीं कर सकता, क्योंकि भले वह छोटा है, परन्तु उसकी अपनी महत्ता है । शिखा न रखने से हम जिस लाभ से वंचित रह जाते हैं, उसकी पूर्ति अन्य किसी साधन से नहीं हो सकती ।*


*🔶 हरिवंश पुराण में एक कथा आती है - हैहय व तालजंघ वंश के राजाओं ने शक, यवन, काम्बोज, पारद आदि राजाओं को साथ लेकर राजा बाहु का राज्य छीन लिया था । राजा बाहु अपनी पत्नी के साथ वन में चले गए । वहाँ राजा की मृत्यु हो गयी । महर्षि और्व ने उसकी गर्भवती पत्नी की रक्षा की और उसे अपने आश्रम में ले आए । वहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो आगे चलकर राजा सगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।*


*🔶 राजा सगर ने महर्षि और्व से शस्त्र व शास्त्र की विद्या सीखी । समय पाकर राजा सगर ने हैहयों को मार डाला और फिर शक, यवन, काम्बोज, पारद आदि राजाओं को भी मारने का निश्चय किया । ये शक, यवन आदि राजा महर्षि वसिष्ठ की शरण में चले गए । महर्षि वसिष्ठ ने उन्हें कुछ शर्तों पर अभयदान दे दिया और राजा सगर को आज्ञा दी कि वे उनको न मारे । राजा सगर अपनी प्रतिज्ञा भी नहीं छोड़ सकते थे और महर्षि वसिष्ठ जी की आज्ञा भी नहीं टाल सकते थे । इसलिए उन्होंने उन राजाओं का सिर शिखा सहित मुँडवाकर छोड़ दिया ।*


*🔶 प्राचीन काल में किसी की शिखा काट देना मृत्यु दण्ड के समान माना जाता था । लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि आज हिन्दू लोग अपने हाथों से ही अपनी शिखा काट रहे हैं । शिखा न रखना यह गुलामी मानसिकता की पहचान है, जबकि शिखा हिन्दुत्व की पहचान है । यह हमारे धर्म और संस्कृति की रक्षक है । इतिहास गवा है शिखा के विशेष महत्व के कारण ही हिन्दुओं ने यवन शासन के दौरान अपनी शिखा की रक्षा के लिए सिर कटवा दिए, पर शिखा नहीं कटवायी । भारतीय परम्परा में प्राचीन काल से ही सिर पर चोटी रखने का विधान है, जिसका वर्णन वेदों में भी मिलता है । दक्षिण भारत में तो आधे सिर पर 'गोखुर' के समान चोटी रखते हैं । चोटी बौद्धिक विकास में बड़ी सहायक सिद्ध होती है ।*


*🔶 प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ० आई०ई० क्लार्क (एम.डी.) ने कहा है - "मैंने जब से इस विज्ञान की खोज की हैं तब से मुझे विश्वास हो गया है कि हिन्दुओं का हर एक नियम विज्ञान से परिपूर्ण है । चोटी रखना हिन्दू धर्म की मर्यादा ही नहीं, यह सुषुम्ना नाड़ी के केन्द्रों की रक्षा के लिए ऋषि-मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार भी है ।"*


*🔶 इसी प्रकार पाश्चात्य विद्वान मिस्टर अर्ल थामस लिखते हैं - "सुषुम्ना की रक्षा हिन्दू लोग चोटी रखकर करते हैं, जबकि अन्य देशों में लोग सिर पर लम्बे बाल रखकर या हैट पहनकर करते हैं । इन सब में चोटी रखना सबसे लाभकारी है । किसी भी प्रकार से सुषुम्ना की रक्षा करना जरुरी है ।"*


*🔶 वास्तव में मानव शरीर को प्रकृति ने इतना सबल बनाया है कि वह बड़े से बड़े आघात को भी सहन करके रह जाता है । परन्तु शरीर में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जिन पर आघात होने से मनुष्य की तत्काल मृत्यु हो सकती है, इन्हें मर्म स्थान कहा जाता है । शिखा के अधोभाग में भी मर्म स्थान होता है,* जिसके लिए सुश्रुताचार्य ने लिखा है -


       *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात्*

       *शिरासन्धि सन्निपातो ।*

       *रोमावर्तोऽधिपति*

       *स्तत्रपि सद्यो मरणम् ।।*


       अर्थात् मस्तक के भीतर ऊपर जहाँ बालों का आवर्त (भंवर) होता है, वहाँ सम्पूर्ण नाड़ियों व संधियों का मेल है, उसे 'अधिपति मर्म' कहा जाता है । यहाँ चोट लगने से तत्काल मृत्यु हो जाती है ।


*🔶 सुषुम्ना के मूल स्थान को 'मस्तुलिंग' कहते हैं । 'मस्तिष्क' के साथ ज्ञानेन्द्रियों - कान, नाक, जीभ, आँख आदि का सम्बन्ध है और कर्मेन्द्रियों - हाथ, पैर, गुदा, इन्द्रिय आदि का सम्बन्ध 'मस्तुलिंग' से है । मस्तिष्क व मस्तुलिंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं, उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है । मस्तिष्क ठण्डक चाहता है और मस्तुलिंग गर्मी । मस्तिष्क को ठण्डक पहुँचाने के लिए 'क्षौरकर्म' करवाना और मस्तुलिंग को गर्मी पहुँचाने के लिए 'गोखुर' के परिमाण के बाल रखना आवश्यक होता है । बाल कुचालक हैं, इसलिए चोटी के लम्बे बाल बाहर की अनावश्यक गर्मी या ठण्डक से मस्तुलिंग की रक्षा करते हैं ।*

Wednesday, April 13, 2022

हिन्दी और हिन्दू संस्कृति

 Read till END...

...

*विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है* 

*1-Divorce (अंग्रेजी)* 

*2-तलाक (उर्दू)* 

*कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??*


कहानी आजतक के Editor... *संजय सिन्हा की लिखी है...।* 


तब मैं... 'जनसत्ता' में... नौकरी करता था...। एक दिन खबर आई कि... एक आदमी ने झगड़े के बाद... अपनी पत्नी की हत्या कर दी...। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि... *"पति ने अपनी बीवी को मार डाला"...!* खबर छप गई..., किसी को आपत्ति नहीं थी...। पर शाम को... दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए... *प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी...* सीढ़ी के पास मिल गए...। मैंने उन्हें नमस्कार किया... तो कहने लगे कि... *"संजय जी..., पति की... 'बीवी' नहीं होती...!"*


*“पति की... 'बीवी' नहीं होती?”* मैं चौंका था


*" “बीवी" तो... 'शौहर' की होती है..., 'मियाँ' की होती है..., पति की तो... 'पत्नी' होती है...! "*


भाषा के मामले में... प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था..., हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि... *"भाव तो साफ है न ?"* बीवी कहें... या पत्नी... या फिर वाइफ..., सब एक ही तो हैं..., लेकिन मेरे कहने से पहले ही... उन्होंने मुझसे कहा कि... *"भाव अपनी जगह है..., शब्द अपनी जगह...! कुछ शब्द... कुछ जगहों के लिए... बने ही नहीं होते...! ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है...।"*


खैर..., आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया..., आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं...। लेकिन इसके लिए... आपको मेरे साथ... निधि के पास चलना होगा...।


निधि... मेरी दोस्त है..., कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था...। फोन पर उसकी आवाज़ से... मेरे मन में खटका हो चुका था कि... कुछ न कुछ गड़बड़ है...! मैं शाम को... उसके घर पहुंचा...। उसने चाय बनाई... और मुझसे बात करने लगी...। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं..., फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि... नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है...।


मैंने पूछा कि... "नितिन कहां है...?" तो उसने कहा कि... "अभी कहीं गए हैं..., बता कर नहीं गए...।" उसने कहा कि... "बात-बात पर झगड़ा होता है... और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है..., ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि... अलग हो जाएं..., तलाक ले लें...!"


निधि जब काफी देर बोल चुकी... तो मैंने उससे कहा कि... "तुम नितिन को फोन करो... और घर बुलाओ..., कहो कि संजय सिन्हा आए हैं...!"


निधि ने कहा कि... उनकी तो बातचीत नहीं होती..., फिर वो फोन कैसे करे...?!!!


अज़ीब सँकट था...! निधि को मैं... बहुत पहले से जानता हूं...। मैं जानता हूं कि... नितिन से शादी करने के लिए... उसने घर में कितना संघर्ष किया था...! बहुत मुश्किल से... दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे..., फिर धूमधाम से शादी हुई थी...। ढ़ेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं... ऐसा लगता था कि... ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है...! पर शादी के कुछ ही साल बाद... दोनों के बीच झगड़े होने लगे... दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे... और आज उसी का नतीज़ा था कि... संजय सिन्हा... निधि के सामने बैठे थे..., उनके बीच के टूटते रिश्तों को... बचाने के लिए...!


खैर..., निधि ने फोन नहीं किया...। मैंने ही फोन किया... और पूछा कि... "तुम कहां हो... मैं तुम्हारे घर पर हूँ..., आ जाओ...। नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा..., पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया...।


अब दोनों के चेहरों पर... तनातनी साफ नज़र आ रही थी...। ऐसा लग रहा था कि... कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी... आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे...! दोनों के बीच... कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी...!!


नितिन मेरे सामने बैठा था...। मैंने उससे कहा कि... "सुना है कि... तुम निधि से... तलाक लेना चाहते हो...?!!!


उसने कहा, “हाँ..., बिल्कुल सही सुना है...। अब हम साथ... नहीं रह सकते...।"


मैंने कहा कि... *"तुम चाहो तो... अलग रह सकते हो..., पर तलाक नहीं ले सकते...!"*


*“क्यों...???*


*“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है...!”*


*"अरे यार..., हमने शादी तो... की है...!"*


*“हाँ..., 'शादी' की है...! 'शादी' में... पति-पत्नी के बीच... इस तरह अलग होने का... कोई प्रावधान नहीं है...! अगर तुमने 'मैरिज़' की होती तो... तुम "डाइवोर्स" ले सकते थे...! अगर तुमने 'निकाह' किया होता तो... तुम "तलाक" ले सकते थे...! लेकिन क्योंकि... तुमने 'शादी' की है..., इसका मतलब ये हुआ कि... "हिंदू धर्म" और "हिंदी" में... कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद... अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं....!!!"*


मैंने इतनी-सी बात... पूरी गँभीरता से कही थी..., पर दोनों हँस पड़े थे...! दोनों को... साथ-साथ हँसते देख कर... मुझे बहुत खुशी हुई थी...। मैंने समझ लिया था कि... *रिश्तों पर पड़ी बर्फ... अब पिघलने लगी है...!* वो हँसे..., लेकिन मैं गँभीर बना रहा...


मैंने फिर निधि से पूछा कि... "ये तुम्हारे कौन हैं...?!!!"


निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि... "पति हैं...! मैंने यही सवाल नितिन से किया कि... "ये तुम्हारी कौन हैं...?!!! उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि..."बीवी हैं...!"


मैंने तुरंत टोका... *"ये... तुम्हारी बीवी नहीं हैं...! ये... तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं.... क्योंकि... तुम इनके 'शौहर' नहीं...! तुम इनके 'शौहर' नहीं..., क्योंकि तुमने इनसे साथ "निकाह" नहीं किया... तुमने "शादी" की है...! 'शादी' के बाद... ये तुम्हारी 'पत्नी' हुईं..., हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से... बन कर आती है...!* तुम भले सोचो कि... शादी तुमने की है..., पर ये सत्य नहीं है...! तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ..., मैं सबकुछ... अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा...!"


बात अलग दिशा में चल पड़ी थी...। मेरे एक-दो बार कहने के बाद... निधि शादी का एलबम निकाल लाई..., अब तक माहौल थोड़ा ठँडा हो चुका था..., एलबम लाते हुए... उसने कहा कि... कॉफी बना कर लाती हूं...।"


मैंने कहा कि..., "अभी बैठो..., इन तस्वीरों को देखो...।" कई तस्वीरों को देखते हुए... मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई..., जहाँ निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे...। और पाँव~पूजन की रस्म चल रही थी...। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली... और उनसे कहा कि... "इस तस्वीर को गौर से देखो...!"


उन्होंने तस्वीर देखी... और साथ-साथ पूछ बैठे कि... "इसमें खास क्या है...?!!!"


मैंने कहा कि... "ये पैर पूजन का रस्म है..., तुम दोनों... इन सभी लोगों से छोटे हो..., जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं...।"


“हां तो....?!!!"


“ये एक रस्म है... ऐसी रस्म सँसार के... किसी धर्म में नहीं होती... जहाँ छोटों के पांव... बड़े छूते हों...! *लेकिन हमारे यहाँ शादी को... ईश्वरीय विधान माना गया है..., इसलिए ऐसा माना जाता है कि... शादी के दिन पति-पत्नी दोनों... 'विष्णु और लक्ष्मी' के रूप हो जाते हैं..., दोनों के भीतर... ईश्वर का निवास हो जाता है...!* अब तुम दोनों खुद सोचो कि... क्या हज़ारों-लाखों साल से... विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं...?!!! दोनों के बीच... कभी झिकझिक हुई भी हो तो... क्या कभी तुम सोच सकते हो कि... दोनों अलग हो जाएंगे...?!!! नहीं होंगे..., *हमारे यहां... इस रिश्ते में... ये प्रावधान है ही नहीं...! "तलाक" शब्द... हमारा नहीं है..., "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है...!"*


यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि... *"बताओ कि... हिंदी में... "तलाक" को... क्या कहते हैं...???"*


दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि... *"दरअसल हिंदी में... 'तलाक' का कोई विकल्प ही नहीं है...! हमारे यहां तो... ऐसा माना जाता है कि... एक बार एक हो गए तो... कई जन्मों के लिए... एक हो गए तो... प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता..., उसे करने की कोशिश भी मत करो...! या फिर... पहले एक दूसरे से 'निकाह' कर लो..., फिर "तलाक" ले लेना...!!"*


*अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ... काफी पिघल चुकी थी...!*


निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी...। फिर उसने कहा कि... "भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं...।"


वो कॉफी लाने गई..., मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं...। बहुत जल्दी पता चल गया कि... *बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं..., बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं..., जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं...।*


खैर..., कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली...। नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि... निधि ने रोक लिया..., “भैया..., इन्हें शुगर है... चीनी नहीं लेंगे...।"


लो जी..., घंटा भर पहले ये... इनसे अलग होने की सोच रही थीं...। और अब... इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं...!


मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख निधि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि... *"अब तुम लोग... अगले हफ़्ते निकाह कर लो..., फिर तलाक में मैं... तुम दोनों की मदद करूंगा...!"*


शायद अब दोनों समझ चुके थे.....


*हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है...!*


*इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है...!!*


👆उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा..., *जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है...।* आप सभी से निवेदन है कि... समय निकाल कर इसे पढ़ें..., गौर करें..., अच्छा लगे तो... आप अ

पने मित्रों... व आपके पास जो भी समूह हैं... उनमें प्रेषित करे...। 👏👏

Sunday, March 27, 2022

हिन्दुस्तान का इतिहास

  



#इतिहासनामा👇👇👇

🌎 1857 के बाद हमने अपनी भारतभूमि का लगभग पचास लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग गँवा दिया। 


👉 ज्यादा अतीत में न जायें तो भी 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज प्रशासनिक अफसर जब कलकत्ता के अपने दफ़्तर में बैठते थे तो प्रोटोकॉल के अनुसार उनके पीछे की दीवार पर उस भारत का मानचित्र लगा होता था जिसे वो "इंडिया" कहकर पुकारते थे।


👉 दरअसल, आज का भारत सीमित भूभाग वाला देश है। लेकिन भारत कभी बहुत बड़ा भूभाग वाला देश था। यह सिर्फ कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात ही तक सीमित नहीं था बल्कि अखंड भारत में आने वाले वर्तमान के देश भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, फिलिपिंस, थाइलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, ईरान, तजाकिस्तान, किरगिजस्तान, कजाकास्तान आदि।


👉 सन् 1875 तक यह भारत के ही भाग थे लेकिन 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिल गई थी। उन्हें लगा की इतने बड़े भू-भाग का दोहन एक केन्द्र से करना सम्भव नहीं है एवं फुट डालो एवं शासन करो की नीति अपनायी एवं भारत को अनेकानेक छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दिया केवल इतना ही नहीं यह भी सुनिश्चित किया की कालान्तर में भारतवर्ष पुनः अखण्ड न बन सके।


👉 1857 से 1947 तक भारत के कई टुकड़े हुए और बन गए सात नए देश। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह से 24वां विभाजन था।


👉 आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस नक़्शे के अनुसार 1857 की क्रांति के समय भारत का क्षेत्रफल था लगभग 83 लाख वर्ग किलोमीटर जो आज घटकर मात्र लगभग 33 लाख वर्ग-किलोमीटर रह गया है।


🤷🏻‍♂️ यानि 1857 के बाद हमने अपनी भारतभूमि का लगभग पचास लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग गँवा दिया।


मगर न तो हमें वेदना है न ही कोई शर्म 🙁



*आवश्यक सूचना* 📣


*यदि आपको राजनीति🌷में रुचि नहीं है,*

 तो........ 

*गलत व्यक्ति✋🧹*

*आप पर राज करने लगता है..।*


🚩धर्मो रक्षति रक्षितः

🇮🇳हिन्दू राष्ट्र भारत


10th results 2022 Bihar school examination board, patna

 


बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना मैट्रिक 2022 का परिणाम निम्न लिंक पर देखें|


 

 


 

Click here👉 Link 2 result 

 Click here👉 Link 3 

Click here👉 Link 4

The Bihar School Examination Board will be announced the Bihar Board 10th Result 2022 today. The BSEB will release the Bihar Board 10th Result 2022 around 3 PM. 

 

Saturday, January 8, 2022

धर्मरक्षापञ्चाङ्गम् 2022-23, Dharmraksha panchang

 🙏🚩जय श्री राम🚩🙏


 *धर्मरक्षापंचाग २०२२-२३* आपके कर कमलो में अर्पित करते हुए हमें बहुत आनन्द आ रहाी है।यह पंचांग सभी के लिए उपयोगी एवं सरल है अतः आपलोग इस पंचांग का अध्ययन करें तथा अपने मित्रों के पास भेजे और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करें|



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 धर्मरक्षापञ्चाङ्गम् 2022-23, प्रस्तुति- पं. श्री संतोष तिवारी सम्पर्क सूत्र- 6299953415



आपको पंचाग कैसा लगा, हमें बताएं- https://wa.me/916299953415

Monday, January 3, 2022

Vaidic science वैदिक चिकित्सा पद्धति

 *🕉️वेदों में सूर्य किरण चिकित्सा🌞*




*🔶सूर्य किरण से नाना प्रकार के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। वाष्प स्नान से जो लाभ होता है वही लाभ धूप स्नान से होता है। धूप स्नान से रोम कूप खुल जाते हैं और शरीर से पर्याप्त मात्रा में पसीना निकलता है और शरीर के अन्दर का दूषित पदार्थ गल कर बाहर निकल जाता है। जिससे स्वास्थ्य सुधर जाता है।*


*🔶जिन गायों को बाहर धूप में घूमने नहीं दिया जाता है और सारे दिन घर में ही रख कर खिलाया-पिलाया जाता है, उनके दुग्ध में विटामिन डी विशेष मात्रा में नहीं पाया जाता है।*

*उदय काल का सूर्य निखिल विश्व का प्राण है। प्राणःप्रजानामुदयत्येष सूर्यः प्राणोपनिषद् 1/8 सूर्य प्रजाओं का प्राण बन कर उदय होता है।*


*🔶अथर्ववेद में सूर्य किरणों से रोग दूर करने की चर्चा है। अथर्ववेद काँड 1 सूक्त 22 में-*

*अनुसूर्यमुदयताँ हृदयोतो हरिमा चते। गौ रोहितस्य वर्णन तेन त्वा परिद्धयसि॥ 1॥*

*अर्थ- हे रोगाक्राँत व्यक्ति। तेरा हृदय धड़कन, हृदयदाह आदि रोग और पाँडुरोग सूर्य के उदय होने के साथ ही नष्ट हो जायं। सूर्य के लाल रंग वाले उदयकाल के सूर्य के उस उदय कालिक रंग से भरपूर करते हैं।*


*🔶इस मंत्र में सूर्य की रक्त वर्ण की किरणों को हृदय रोग के नाश करने के लिए प्रयोग करने का उपदेश है। सूर्य किरण चिकित्सा के अनुसार कामला और हृदयरोग के रोगी को सूर्य की किरणों में रखे लाल काँच के पात्र में रखे जल को पिलाने का उपदेश है।*


*“परित्वा रोहितेर्वर्णेदीर्घायुत्वाय दम्पत्ति। यथायमरपा असदथो अहरितो भुवत्॥ 2॥*

*अर्थ- हे पाँडुरोग से पीड़ित व्यक्ति। दीर्घायु प्राप्त कराने के लिए तेरे चारों ओर सूर्य की किरणों से लाल प्रकाश युक्त आवरणों में तुझे रखते हैं जिससे यह तू रोगी पाप के फलस्वरूप रोग रहित हो जाय और जिससे तू पाँडुरोग से भी मुक्त हो जाय।*

*ऐसे रोगियों को नारंगी, सन्तरे, सेब, अंगूर आदि फलों को खिलाने तथा गुलाबी रंग के पुष्पों से विनोद कराना भी अच्छा है।*


*या रोहिणी दैवत्या गावो या उत रोहिणीः। रुपं रुपं वयोवयस्तामिष्ट्रवा परिदध्यसि॥ 3॥*

*अर्थ- जो देव, प्रकाश सूर्य की प्रातःकालीन रक्त वर्ण की किरणें हैं और जो लाल वर्ण की कपिला गायें हैं या उगने वाली औषधियाँ हैं उनके भीतर विद्यमान कान्तिजनक चमक को और दीर्घायु जनक उन द्वारा तुझको सब प्रकार से परिपुष्ट करते हैं।*


*🔶हृदयरोग के सम्बन्ध में वाव्यटूट अष्ठग संग्रह हृदय रोग निदान अ. 5 में लिखते हैं, पाँच प्रकार का हृदय रोग होता है वातज, पितज, कफज, त्रिदोषज और कृमियों से। इनके भिन्न-2 लक्षण प्रकट होते हैं। इसी प्रकार पाँडुरोग का एक विकृत रूप हलीमक है। उसमें शरीर हरा, नीला, पीला हो जाता है। उसके सिर में चक्कर, प्यास, निद्रानाश, अजीर्ण और ज्वर आदि दोष अधिक हो जाते हैं। इनकी चिकित्सा में रोहिणी और हारिद्रव और गौक्षीर का प्रयोग दर्शाया गया है। रोहित रोहिणी, रोपणाका, यह एक ही वर्ग प्रतीत होता है। हारिद्रव हल्दी और इसके समान अन्य गाँठ वाली औषधियों का ग्रहण है। शुक भी एक वृक्ष वर्ग का वाचक है।*


*🔶अथर्ववेद काण्ड 6, सूक्त 83 में गंडमाला रोग को सूर्य से चिकित्सा करने का वर्णन है।*

*अपचितः प्रपतत सुपर्णों वसतेरिव। सूर्यः कृणोतु भेषजं चन्द्रमा वो पोच्छतु॥*

*(अथर्व. 6। 83।1)*

*अर्थ- हे गंडमाला ग्रन्थियों। घोंसले से उड़ जाने वाले पक्षी के समान शीघ्र दूर हो जाओ। सूर्य चिकित्सा करे अथवा चन्द्रमा इनको दूर करे।*

*यहाँ सूर्य की किरणों से गंडमाला की चिकित्सा करने का उपदेश है। नीले रंग की बोतल से रक्त विकार के विस्फोटक दूर होते हैं। यही प्रभाव चंद्रालोक का भी है। रात में चन्द्रातप में पड़े जल से प्रातः विस्फोटकों को धोने से उनकी जलन शान्ति होती है और विष नाश होता है।*

*एन्येका एयेन्येका कृष्णे का रोहिणी वेद। सर्वासामग्रभं नामावीरपूनीरपेतन॥*

*(अथर्व. 6। 83। 2)*


*अर्थ- गंडमालाओं में से एक हल्की लाल श्वेत रंग की स्फोटमाला होती है, दूसरी श्वेत फुँसी होती है। तीसरी एक काली फुँसियों वाली होती है। और दो प्रकार की लाल रंग की होती है उनको क्रम से ऐनी, श्येनी, कृष्णा और रोहिणी नाम से कहा जाता है। इन सबका शल्य क्रिया के द्वारा जल द्रव पदार्थ निकालता हूँ। पुरुष का जीवन नाश किये बिना ही दूर हो जाओ।*


*असूतिका रामायणयऽपचित प्रपतिष्यति। ग्लोरितः प्र प्रतिष्यति स गलुन्तो नशिष्यति ॥*

*(अथर्व. 6।83।3)*


*अर्थ- पीव उत्पन्न न करने वाली गंडमाला, रक्तनाड़ियों के मर्म स्थान में होने वाली, ऐसी गंडमाला भी पूर्वोक्त उपचार से विनाश हो जायेगी। इस स्थान से व्रण की पीड़ा भी विनाश हो जायेगी।*


*वीहि स्वामाहुतिं जुषाणो मनसा स्वाहा यदिदं जुहोमि। (अथर्व. 6।83।4)*

*अर्थ- अपने खाने-पीने योग्य भाग को मन से पसन्द करता हुआ सहर्ष खा, जो यह सूर्य किरणों से प्रभावित जल, दूध, अन्नादि पदार्थ मैं देता हूँ।*


*सं ते शीष्णः कपालानि हृदयस्य च यो विधुः। उद्यन्नादित्य रश्मिमिः शीर्ष्णो रोगमनीनशोंग भेदमशीशमः।*

*(अथर्व. 9।8।22)*


*अर्थ- हे रोगी तेरे सिर के कपाल सम्बन्धी रोग और हृदय की जो विशेष प्रकार की पीड़ा थी वह अब शाँत हो गई है। हे सूर्य! तू उदय होता हुआ ही अपनी किरणों से सिर के रोग को नाश करता है और शरीर के अंगों को तोड़ने वाली तीव्र वेदना को भी शाँत कर देता है।*


*इस प्रकार समस्त रोगों को सूर्य उदय होता हुआ अपनी किरणों से दूर करता है।*


*🔶धूप स्नान करते समय रोगी का शरीर नग्न होना चाहिए। जब सूर्य की किरणें त्वचा पर पड़ती है तो उससे विशेष लाभ होता है। सिर को सदैव धूप लगने से बचाना चाहिए। छाजन(एक्जिमा) रोग में धूप स्नान से बहुत लाभ होता है। यदि शरीर का कोई प्रधान अंग निर्बल हो गया हो, तो धूप स्नान से उन्हें लाभ होता है। कुछ रोगों में धूप स्नान मना भी है* 


*यथा सभी प्रकार के ज्वर में।*

*इस तरह से वेदों में नैसर्गिक सूर्य क्रिया चिकित्सा का स्पष्ट वर्णन है।*