Thursday, December 31, 2020

नववर्ष हमें स्वीकार नहीं

  


卐ॐ卐  दिनांक- ०१-०१-२०२१ 

*"किं नव्यं नववत्सरे???"*

*अर्धरात्रौ समायातं मदिरालोललोचनम्।*

*यावनं वत्सरं नव्यं नास्माकं वद निर्भयम्॥ १*

आधी रात को आने वाला, मदिरा से विह्वल नेत्रों वाला यह यवनों का नव वर्ष हमारा नहीं हैं - यह निर्भय होकर कहो!


*वने न नूतनं पुष्पं वृक्षे न पल्लवाः नवाः।*

*ऋतुर्नैव क्वचिन्नव्यः किं नव्यं नववत्सरे॥ २*

न तो वन में नए फूल खिले हैं, न वृक्ष पर नए पत्ते आएँ हैं और न ही ऋतु में परिवर्तन हुआ है। तो इस नए वर्ष में नया क्या है?


*उद्याने न कुशो नव्यः सरित्सु न नवं जलम्।*

*न व्योम्नि विहगाः नव्याः किं नव्यं नववत्सरे॥ ३*

न तो उद्यान में नई घास उगी है, न नदियों में नया जल आया है, न आकाश में नए पक्षी उड़ रहे हैं। तो इस नए वर्ष में नया क्या है?


*न ग्रहाः नूतने क्षेत्रे चरन्त्यद्य सतारकाः।*

*कुतस्तदा नवं वर्षं पृच्छामि दैवदर्शिनम्॥ ४*

आज नक्षत्रों के साथ ग्रह किसी नए क्षेत्र में विचरण नहीं करते, तो मैं ज्योतिषियों से पूछता हूँ कि आज नया वर्ष कैसे सिद्ध होता है?


*गतागतास्तु राजानो नागरास्तु हताहताः।*

*अनव्ये लोकतन्त्रे चेत्किं नव्यं नववत्सरे॥ ५*

कितने राजा आए और चले गए। कितने नागरिक मारे गए और आहत हो गए। - जब इस लोकतंत्र में कुछ नया ही नहीं है तो इस नए वर्ष में नया क्या है?

*हर हर महादेव* 




यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,

           है अपना ये त्यवहार नहीं।

है अपनी ये तो रीत नहीं,

         है अपना ये व्यवहार नहीं।।

धरा ठिठुरती है सर्दी से,

        आकाश में कोहरा गहरा है।

बाग़ बाज़ारों की सरहद पर,

               सर्द हवा का पहरा है।।

सूना है प्रकृति का आँगन,

          कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं।

हर कोई है घर में दुबका हुआ,

     नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं।।

चंद मास अभी इंतज़ार करो,

 निज मन में तनिक विचार करो।।

नये साल नया कुछ हो तो सही,

   क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही।

उल्लास मंद है जन -मन का,

           आयी है अभी बहार नहीं।

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं,

          है अपना ये त्यौहार नहीं।।

ये धुंध कुहासा छंटने दो,

         रातों का राज्य सिमटने दो।

प्रकृति का रूप निखरने दो,

        फागुन का रंग बिखरने दो।।

प्रकृति दुल्हन का रूप धार,

      जब स्नेह – सुधा बरसायेगी।

शस्य – श्यामला धरती माता,

        घर -घर खुशहाली लायेगी।।

तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,

             नव वर्ष मनाया जायेगा।

आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर,

         जय गान सुनाया जायेगा।।  -- रामधारी सिंह दिनकर

            ।।जय जय श्रीराम।।



कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही 🙏🚩

अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।।


1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ??

● न ऋतु बदली.. न मौसम

● न कक्षा बदली... न सत्र

● न फसल बदली...न खेती

● न पेड़ पौधों की रंगत

● न सूर्य चाँद सितारों की दिशा

● ना ही नक्षत्र।।


1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो।

नया केवल एक दिन ही नही

कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।

ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:


1. प्रकृति-

एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. वही चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर के पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I


2. मौसम,वस्त्र-


दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.. लेकिन

चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I


3. विद्यालयो का नया सत्र- 

दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं..

जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I


4. नया वित्तीय वर्ष-


दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I


5. कलैण्डर-


जनवरी में नया कलैण्डर आता है..

चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I


6. किसानो का नया साल- 

दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..

जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I


7. पर्व मनाने की विधि-


31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..


जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I


8. ऐतिहासिक महत्त्व- 

1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है..

जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I


एक जनवरी को अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..

अपना नव संवत् ही नया साल है I


जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थीयों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I


अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..???


"एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"

आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े I

।। जय श्री राम 🙏🏻जय श्री कृष्ण ।।

#जयमातृभूमि

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