ग्रह मणि पत्थर
रवि माणिक
चांद मोती
पारा पन्ना
शनि ग्रह नीलम
बृहस्पति पीला नीलम
मार्स लाल मूंगा
शुक्र डायमंड / ओपल
राहु हेस्सनाइट गार्नेट
केतु बिल्ली की आंख
Astrology Consultancy Best Astrologer in India Online Astrologer Astrologer Sidharth is best astrologer in Vadic KP (Krishnamurthy paddhati) Lal kitab remedies and Horoscope matching Call for astrology reading easy payment and quick analysis with proper solution as astrological remedies
Study and Astrology Study and Astrology Education, reading astrological remedies
ASTROLOGY KUNDLI HOROSCOPE
पढ़ाई और ज्योतिष (Study and Astrology)
By Astrologer Sidharth
ज्योतिष आपके अध्ययन (Study and Astrology) में अनुकूल परिस्थितिओं का निर्माण करता है।विद्यार्थी को यही शिक्षा दी जाती है कि अध्ययन में कठोर मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन अभिभावक यह ध्यान रख सकते हैं कि पढ़ाई के साथ साथ उसे बाहरी सहायता क्या दी जाए।
ग्रहों से मिलने वाली सहायता लेने पर विद्यार्थी कई बार बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इस लेख में हम अध्ययन में सहायता करने वाले और बाधा पैदा करने वाले ग्रहों के बारे में जानेंगे।
किसी जातक की कुण्डली में पांचवे भाव से आरंभिक शिक्षा (elementry to greduate level education) और नौंवे भाव से उच्च शिक्षा (higher than graduation) देखी जाती है। जिस वातावरण में विद्यार्थी पढ़ता है वह वातावरण चौथे भाव से देखा जाता है।
चीजों को देखने के लिए विद्यार्थी का क्या दृष्टिकोण है, यह चंद्रमा की स्थिति से देखा जाता है। जो शिक्षा विद्यार्थी अर्जित कर रहा है उसे दसवें यानी कर्म भाव और पांचवे या नौवें भाव के संबंध से समझा जाता है।
कुण्डली में चौथे भाव में शुभ ग्रह हों, चतुर्थ भाव का अधिपति शुभ प्रभाव में हो तो अध्ययन के दौरान घर का वातावरण शांत और सौम्य रहता है। इससे विद्यार्थी को अध्ययन में सहायता मिलती है।
पांचवे भाव में शुभ ग्रह बैठे हों और पांचवे भाव का अधिपति शुभ प्रभावों में हो तो विद्यार्थी की प्रारंभिक शिक्षा अच्छी होती है। ऐसे छात्र दसवीं की परीक्षा और कई बार स्नातक स्तर की परीक्षाओं में शानदार परिणाम देते हैं।
नौंवे भाव में शुभ ग्रह होने तथा नवमेश के शुभ प्रभाव में होने पर जातक उच्च अध्ययन में शानदार परिणाम देता है। किसी जमाने में स्नातकोत्तर को उच्च अध्ययन समझा जाता था, अब शिक्षा के प्रसार के बाद पीएचडी अथवा पोस्ट डॉक्टरल को हम उच्च शिक्षा की श्रेणी में रख सकते हैं।
अगर पांचवां भाव बेहतर न हो और नौंवा भाव शुभ हो तो स्नातक स्तर तक औसत प्रदर्शन करने वाला छात्र भी उच्च अध्ययन के दौरान बेहतर परिणाम पेश करता है।
चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। अगर मानसिकता मजबूत हो तो जातक हर तरह के बेहतर परिणाम दे सकता है। पढ़ाई में भी यही बात लागू होती है। चौथा, पांचवां और नौंवा भाव बेहतर होने के बावजूद चंद्रमा खराब होने पर विद्यार्थी को एकाग्रता में कमी और चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है।
Study and Astrology
इसके लिए एक सामान्य उपचार यह बताया जाता है कि इम्तिहान के दिनों में विद्यार्थी को नियमित रूप से चांदी की कटोरी में मक्खन मथकर खिलाया जाए तो वह अधिक एकाग्रता से पढ़ाई कर सकता है।
अगर चंद्रमा से राहू, केतू अथवा शनि की युति अथवा दृष्टि हो तो राहू एवं चंद्रमा के उपचार भी कराने की जरूरत होती है। पढ़ाई के लिए किसी जातक का गुरु बेहतर होना जरूरी है। वह जातक को जीवन में स्थायीत्व एवं साख दिलाता है।
आज जब शिक्षा ही इन दोनों का आधार है तो हम गुरु को शिक्षा से जोड़कर भी देखते हैं। सामान्य तौर पर कुण्डली का बारहवां भाव खर्च का भाव है। किसी ग्रह के बारहवें भाव में होने पर उस ग्रह से संबंधित कारकों का ह्रास होता है, लेकिन गुरु के मामले में इससे ठीक उल्टा होता है।
‘’सरस्वती के भण्डार की बड़ी अनोखी बातजो खर्चे त्यों त्यों बढ़े, ज्यों संचे घट जाए’’ यानी बारहवें भाव में बैठा गुरु शिक्षा संबंधी योग को कम करने के बजाय बढ़ाने का काम करता है।
कई मामलों में शुक्र के साथ भी ऐसा देखा गया है। शुक्र भी देवताओं के गुरु हैं। गुरु और शुक्र में मूल अंतर यह रहता है कि शुक्र सांसारिकता एवं विलासिता अथवा इससे संबंधित शिक्षा में बढ़ोतरी करता है।
राशियों के अनुसार आराध्य देव
मेष (aries) राशि के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए सूर्य सहायक है। ऐसे जातकों को रोजाना सुबह सूर्य नमस्कार करना चाहिए और सूर्य भगवान को अर्ध्य देना चाहिए। इन छात्रों का रूटीन जितना नियमित होगा, पढ़ाई में उतने ही अच्छे परिणाम हासिल कर पाएंगे।
वृष (turus) राशि के जातकों को के लिए पढ़ाई का कारक ग्रह बुध है। इन जातकों को नियमित रूप से गणेशजी की आराधना करनी चाहिए। इन जातकों को बार-बार रिवीजन करते रहने की जरूरत है।
मिथुन (gemini) राशि के जातकों के लिए शुक्र पढ़ाई का कारक है। ऐसे जातकों को देवी आराधना करना लाभदायी है। पढ़ते समय कमरे का वातावरण अगर खुश्बूदार होगा तो ये बेहतर एकाग्र हो पाएंगे।
कर्क (cancer) राशि के जातकों की पढ़ाई के लिए मंगल कारक ग्रह है। नियमित अध्ययन के साथ रोजाना हनुमान मंदिर जाने से परीक्षाओं में अंकों का प्रतिशत तेजी से बढ़ सकता है।
सिंह (Leo) राशि के जातकों के लिए गुरु पढ़ाई का कारक है। नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना और विष्णु मंदिर जाने से छात्रों को विद्याध्ययन में लाभ होगा।
कन्या (virgo) एवं तुला राशि के छात्रों के लिए शनि की आराधना लाभदायक रहती है। रोजाना शनि मंदिर जाना और प्रत्येक शनिवार तेल एवं तिल की वस्तुएं चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
वृश्चिक राशि के छात्रों के लिए गुरु शिक्षा दिलाने वाला है। सरस्वती मंत्र का जाप करने और सरस्वती के मंदिर जाना लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
धनु राशि के लिए मंगल कारक है। इन छात्रों को नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाना चाहिए।
मकर राशि के छात्र देवी आराधना कर शिक्षा में बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं।
कुंभ राशि के जातकों को गणपति की आराधना करने से अध्ययन क्षेत्र में सफलता मिलेगी
मीन राशि के छात्रों के लिए चंद्रमा शिक्षा का कारक है। ये छात्र शिव आराधना कर अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं।
सरस्वती मंत्र (saraswati mantra)
Study and Astrology 2
पढ़ाई में लगे विद्यार्थियों को सरस्वती मंत्र का जाप करने से पढ़ी सामग्री को तेजी से याद करने और उसे बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करने में सहायता मिल सकती है। तंत्र में बीजमंत्र से युक्त सरस्वती मंत्र को महामंत्र तक कहा गया है।
‘’ऐं वद् वद् वाग्वादिनी स्वाहा’’
हालांकि तंत्र में इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए बड़ी संख्या में जाप करने के लिए कहा जाता है, लेकिन विद्यार्थी रोजाना सुबह नहा धोकर, साफ सुथरे आसन पर बैठकर एक माला का जाप नियमित रूप से करे तो कुछ ही महीनों में इसका शानदार परिणाम दिखाई देने लगता है।
अगर जाप करने से पूर्व ग्यारह बार अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जाए तो विद्यार्थी की इडा और पिंगला दोनों नाडि़यां चलने लगती है और मंत्र अधिक तेजी से सिद्ध होता है। किसी भी विद्यार्थी के लिए सुबह पंद्रह मिनट की यह प्रक्रिया अपनाना मुश्किल नहीं है। इससे शिक्षा संबंधी शानदार परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
चंद्र है महत्वपूर्ण (significance of moon)
कुछ विद्यार्थी अलसुबह जल्दी उठकर पढ़ते हैं, तो कुछ देर रात तक जागकर पढ़ते हैं। हर विद्यार्थी की अपनी जैविक घड़ी होती है, जिसके अनुसार वह अपने पढ़ने का समय निर्धारित कर लेता है।
इसके बावजूद देखा यह गया है कि सुबह तड़के उठकर पढ़ने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में बेहतर परिणाम हासिल करते हैं।
परीक्षाओं के दिनों में भले ही यह क्रम न बना रहे, लेकिन पूरे साल की जाने वाली पढ़ाई में रात की तुलना में सुबह का समय बेहतर बताया गया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दिन के समय चंद्रमा सक्रिय होता है तो रात के समय शुक्र।
चंद्रमा के काल में की गई पढ़ाई न केवल सात्विक और शुद्ध होती है, बल्कि लंबे समय तक काम आने वाली होती है, वहीं शुक्र के प्रभाव में किया गया अध्ययन दीर्ध अवधि तक काम नहीं आ पाता है
रवि माणिक
चांद मोती
पारा पन्ना
शनि ग्रह नीलम
बृहस्पति पीला नीलम
मार्स लाल मूंगा
शुक्र डायमंड / ओपल
राहु हेस्सनाइट गार्नेट
केतु बिल्ली की आंख
Astrology Consultancy Best Astrologer in India Online Astrologer Astrologer Sidharth is best astrologer in Vadic KP (Krishnamurthy paddhati) Lal kitab remedies and Horoscope matching Call for astrology reading easy payment and quick analysis with proper solution as astrological remedies
Study and Astrology Study and Astrology Education, reading astrological remedies
ASTROLOGY KUNDLI HOROSCOPE
पढ़ाई और ज्योतिष (Study and Astrology)
By Astrologer Sidharth
ज्योतिष आपके अध्ययन (Study and Astrology) में अनुकूल परिस्थितिओं का निर्माण करता है।विद्यार्थी को यही शिक्षा दी जाती है कि अध्ययन में कठोर मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन अभिभावक यह ध्यान रख सकते हैं कि पढ़ाई के साथ साथ उसे बाहरी सहायता क्या दी जाए।
ग्रहों से मिलने वाली सहायता लेने पर विद्यार्थी कई बार बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इस लेख में हम अध्ययन में सहायता करने वाले और बाधा पैदा करने वाले ग्रहों के बारे में जानेंगे।
किसी जातक की कुण्डली में पांचवे भाव से आरंभिक शिक्षा (elementry to greduate level education) और नौंवे भाव से उच्च शिक्षा (higher than graduation) देखी जाती है। जिस वातावरण में विद्यार्थी पढ़ता है वह वातावरण चौथे भाव से देखा जाता है।
चीजों को देखने के लिए विद्यार्थी का क्या दृष्टिकोण है, यह चंद्रमा की स्थिति से देखा जाता है। जो शिक्षा विद्यार्थी अर्जित कर रहा है उसे दसवें यानी कर्म भाव और पांचवे या नौवें भाव के संबंध से समझा जाता है।
कुण्डली में चौथे भाव में शुभ ग्रह हों, चतुर्थ भाव का अधिपति शुभ प्रभाव में हो तो अध्ययन के दौरान घर का वातावरण शांत और सौम्य रहता है। इससे विद्यार्थी को अध्ययन में सहायता मिलती है।
पांचवे भाव में शुभ ग्रह बैठे हों और पांचवे भाव का अधिपति शुभ प्रभावों में हो तो विद्यार्थी की प्रारंभिक शिक्षा अच्छी होती है। ऐसे छात्र दसवीं की परीक्षा और कई बार स्नातक स्तर की परीक्षाओं में शानदार परिणाम देते हैं।
नौंवे भाव में शुभ ग्रह होने तथा नवमेश के शुभ प्रभाव में होने पर जातक उच्च अध्ययन में शानदार परिणाम देता है। किसी जमाने में स्नातकोत्तर को उच्च अध्ययन समझा जाता था, अब शिक्षा के प्रसार के बाद पीएचडी अथवा पोस्ट डॉक्टरल को हम उच्च शिक्षा की श्रेणी में रख सकते हैं।
अगर पांचवां भाव बेहतर न हो और नौंवा भाव शुभ हो तो स्नातक स्तर तक औसत प्रदर्शन करने वाला छात्र भी उच्च अध्ययन के दौरान बेहतर परिणाम पेश करता है।
चंद्रमा मन का कारक ग्रह है। अगर मानसिकता मजबूत हो तो जातक हर तरह के बेहतर परिणाम दे सकता है। पढ़ाई में भी यही बात लागू होती है। चौथा, पांचवां और नौंवा भाव बेहतर होने के बावजूद चंद्रमा खराब होने पर विद्यार्थी को एकाग्रता में कमी और चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है।
Study and Astrology
इसके लिए एक सामान्य उपचार यह बताया जाता है कि इम्तिहान के दिनों में विद्यार्थी को नियमित रूप से चांदी की कटोरी में मक्खन मथकर खिलाया जाए तो वह अधिक एकाग्रता से पढ़ाई कर सकता है।
अगर चंद्रमा से राहू, केतू अथवा शनि की युति अथवा दृष्टि हो तो राहू एवं चंद्रमा के उपचार भी कराने की जरूरत होती है। पढ़ाई के लिए किसी जातक का गुरु बेहतर होना जरूरी है। वह जातक को जीवन में स्थायीत्व एवं साख दिलाता है।
आज जब शिक्षा ही इन दोनों का आधार है तो हम गुरु को शिक्षा से जोड़कर भी देखते हैं। सामान्य तौर पर कुण्डली का बारहवां भाव खर्च का भाव है। किसी ग्रह के बारहवें भाव में होने पर उस ग्रह से संबंधित कारकों का ह्रास होता है, लेकिन गुरु के मामले में इससे ठीक उल्टा होता है।
‘’सरस्वती के भण्डार की बड़ी अनोखी बातजो खर्चे त्यों त्यों बढ़े, ज्यों संचे घट जाए’’ यानी बारहवें भाव में बैठा गुरु शिक्षा संबंधी योग को कम करने के बजाय बढ़ाने का काम करता है।
कई मामलों में शुक्र के साथ भी ऐसा देखा गया है। शुक्र भी देवताओं के गुरु हैं। गुरु और शुक्र में मूल अंतर यह रहता है कि शुक्र सांसारिकता एवं विलासिता अथवा इससे संबंधित शिक्षा में बढ़ोतरी करता है।
राशियों के अनुसार आराध्य देव
मेष (aries) राशि के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए सूर्य सहायक है। ऐसे जातकों को रोजाना सुबह सूर्य नमस्कार करना चाहिए और सूर्य भगवान को अर्ध्य देना चाहिए। इन छात्रों का रूटीन जितना नियमित होगा, पढ़ाई में उतने ही अच्छे परिणाम हासिल कर पाएंगे।
वृष (turus) राशि के जातकों को के लिए पढ़ाई का कारक ग्रह बुध है। इन जातकों को नियमित रूप से गणेशजी की आराधना करनी चाहिए। इन जातकों को बार-बार रिवीजन करते रहने की जरूरत है।
मिथुन (gemini) राशि के जातकों के लिए शुक्र पढ़ाई का कारक है। ऐसे जातकों को देवी आराधना करना लाभदायी है। पढ़ते समय कमरे का वातावरण अगर खुश्बूदार होगा तो ये बेहतर एकाग्र हो पाएंगे।
कर्क (cancer) राशि के जातकों की पढ़ाई के लिए मंगल कारक ग्रह है। नियमित अध्ययन के साथ रोजाना हनुमान मंदिर जाने से परीक्षाओं में अंकों का प्रतिशत तेजी से बढ़ सकता है।
सिंह (Leo) राशि के जातकों के लिए गुरु पढ़ाई का कारक है। नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना और विष्णु मंदिर जाने से छात्रों को विद्याध्ययन में लाभ होगा।
कन्या (virgo) एवं तुला राशि के छात्रों के लिए शनि की आराधना लाभदायक रहती है। रोजाना शनि मंदिर जाना और प्रत्येक शनिवार तेल एवं तिल की वस्तुएं चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
वृश्चिक राशि के छात्रों के लिए गुरु शिक्षा दिलाने वाला है। सरस्वती मंत्र का जाप करने और सरस्वती के मंदिर जाना लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
धनु राशि के लिए मंगल कारक है। इन छात्रों को नियमित रूप से हनुमान मंदिर जाना चाहिए।
मकर राशि के छात्र देवी आराधना कर शिक्षा में बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं।
कुंभ राशि के जातकों को गणपति की आराधना करने से अध्ययन क्षेत्र में सफलता मिलेगी
मीन राशि के छात्रों के लिए चंद्रमा शिक्षा का कारक है। ये छात्र शिव आराधना कर अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं।
सरस्वती मंत्र (saraswati mantra)
Study and Astrology 2
पढ़ाई में लगे विद्यार्थियों को सरस्वती मंत्र का जाप करने से पढ़ी सामग्री को तेजी से याद करने और उसे बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करने में सहायता मिल सकती है। तंत्र में बीजमंत्र से युक्त सरस्वती मंत्र को महामंत्र तक कहा गया है।
‘’ऐं वद् वद् वाग्वादिनी स्वाहा’’
हालांकि तंत्र में इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए बड़ी संख्या में जाप करने के लिए कहा जाता है, लेकिन विद्यार्थी रोजाना सुबह नहा धोकर, साफ सुथरे आसन पर बैठकर एक माला का जाप नियमित रूप से करे तो कुछ ही महीनों में इसका शानदार परिणाम दिखाई देने लगता है।
अगर जाप करने से पूर्व ग्यारह बार अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जाए तो विद्यार्थी की इडा और पिंगला दोनों नाडि़यां चलने लगती है और मंत्र अधिक तेजी से सिद्ध होता है। किसी भी विद्यार्थी के लिए सुबह पंद्रह मिनट की यह प्रक्रिया अपनाना मुश्किल नहीं है। इससे शिक्षा संबंधी शानदार परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
चंद्र है महत्वपूर्ण (significance of moon)
कुछ विद्यार्थी अलसुबह जल्दी उठकर पढ़ते हैं, तो कुछ देर रात तक जागकर पढ़ते हैं। हर विद्यार्थी की अपनी जैविक घड़ी होती है, जिसके अनुसार वह अपने पढ़ने का समय निर्धारित कर लेता है।
इसके बावजूद देखा यह गया है कि सुबह तड़के उठकर पढ़ने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में बेहतर परिणाम हासिल करते हैं।
परीक्षाओं के दिनों में भले ही यह क्रम न बना रहे, लेकिन पूरे साल की जाने वाली पढ़ाई में रात की तुलना में सुबह का समय बेहतर बताया गया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दिन के समय चंद्रमा सक्रिय होता है तो रात के समय शुक्र।
चंद्रमा के काल में की गई पढ़ाई न केवल सात्विक और शुद्ध होती है, बल्कि लंबे समय तक काम आने वाली होती है, वहीं शुक्र के प्रभाव में किया गया अध्ययन दीर्ध अवधि तक काम नहीं आ पाता है
No comments:
Post a Comment