राम-रावण युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद ने तीन बार भगवान् राम और उनकी सेना को संकट में डाल दिया था| इन्द्र पर विजय प्राप्त करने वाला मेघनाद अपने पिता से भी अधिक शक्तिशाली था| उसने ये शक्तियॉं ७ यज्ञों का अनुष्ठान करके प्राप्त की थीं| लंका में निकुम्भिला उपवन में उसने एक मन्दिर का निर्माण कर रखा था, जिसमें उसने अग्निष्टोम, अश्वमेध, बहुसुवर्णक, राजसूय, गोमेध, वैष्णव एवं माहेश्वर्य यज्ञ सम्पन्न किए थे| माहेश्वर्य यज्ञ अत्यन्त दुर्लभ था| भगवान् शिव इससे प्रसन्न हुए और उनसे मेघनाद को अनेक शक्तियॉं प्राप्त हुयीं| उसे एक दिव्य आकाश में उड़ने वाला रथ भी प्राप्त हुआ| तामसीनामक माया की शक्ति भी उसे प्राप्त हुई, जिससे इच्छानुरूप अंधकार किया जा सकता था| उसे अदृश्य होने की भी शक्ति प्राप्त हुई| दिव्यबाणों से भरे हुए दो अक्षय तरकश (जिनमें बाण समाप्त नहीं होते थे|), अटूट धनुष और एक प्रबल अस्त्र की प्राप्ति हुई|
No comments:
Post a Comment