प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥
द्वितीय पुष्पांजली मंत्र
ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥
तृतीया पुष्पांजली मंत्र
ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥१॥
सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते॥२॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते॥३
मातृभूमि वंदना
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामंगले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्रांगभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद् येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥
॥भारत माता की जय॥
शिव भजन
तीन लोक इक पल भर में ।
ऐसे दीनदयाल मेरे दाता,
भरे खजाना पल भर में ॥
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बना वेद का अधीकारी ।
विष्णु को दिये चक्र सुदर्शन,
लक्ष्मी सी सुंदर नारी।
इन्द्र को दे दिये काम धेनु,
और ऐरावत सा बलकारी ।
कुबेर को सारी वसुधा का,
कर दिया तुमने भंडारी ।
अपने पास पात्र नहीं रक्खा,
रक्खा तो खप्पर कर में ॥
॥ धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये...॥
अमृत तो देवताओं को दे दिये,
आप हलाहल पान करे ।
ब्रह्म ज्ञान दे दिया उसी को,
जिसने आपका ध्यान धरे ।
भागीरथ को गंगा दे दई,
सब जग ने अस्नान करे ।
ब़डे ब़डे पापियों को तारे,
पल भर में कल्याण करे ।
अपने तन पर वस्त्र न रक्खा,
मगन रहे बाघंबर में ॥
॥ धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये...॥
.लंका ग़ढ रावन को दे दिये,
बीस भूजा दस सीश दिये ।
रामचंद्रजी को धनुष बान,
और हनुमान को गदा दिये ।
मन मोहन को मुरली दे दई,
मोर मुकुट बक्शीश किये ।
मुक्ती हेतु काशी में वास,
भक्तों को बिस्वाबीश किये ।
आप नशे में रहे चूर भोला,
भांग पिये नित खप्पर में ॥
॥ धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये...॥
नारद जी को वीणा दे दई,
गंधर्वों को राग दिये ।
ब्राह्मण को दिया कर्म काण्ड,
और सन्यासी को त्याग दिये ।
जिसने आपका ध्यान लगाया,
उसको तो अनुराग दिये ।
देवी सींग कहे बनारसी को,
सबसे उत्तम भाग दिये ।
जिसने ध्याया उसी ने पाया,
महादेव तुम्हरे वर में ॥
॥ धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये...॥
धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये,
तीन लोक इक पल भर में ।
ऐसे दीनदयाल मेरे दाता,
भरे खजाना पल भर में ॥
दुर्गा वन्दना
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
जय जननी, जय जन्मदायिनी।
विश्व वन्दिनी लोक पालिनी।
देवि पार्वती, शक्ति शालिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
परम पूजिता, महापुनीता।
जय दुर्गा, जगदम्बा माता।
जन्म मृत्यु भवसागर तरिणी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सर्वरक्षिका, अन्नपूर्णा।
महामानिनी, महामयी मां।
ज्योतिरूपिणी, पथप्रदर्शिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
सिंहवाहिनी, शस्त्रधारिणी।
पापभंजिनी, मुक्तिकारिणी।
महिषासुरमर्दिनी, विजयिनी।
जय जय जय जननी। जय जय जय जननी।
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