Wednesday, June 26, 2019

धन योग और कुछ सावधानी

धन योग


पेश है जन्म कुंडली के कुछ प्रमुख धन योग। इनमें से किसी एक योग के होने पर भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होती है।

* जब कुंडली के दूसरे भाव में शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक के पास अपार पैसा रहता है।


* जन्म कुंडली के दूसरे भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी भरपूर धन के योग बनते हैं।

* चूंकि दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश को धनेश माना जाता है अत: उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं रहती।


* दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश के साथ कोई शुभ ग्रह बैठा हो तब भी व्यक्ति के पास खूब पैसा रहता है।

* जब बृहस्पति यानी गुरु कुंडली के केंद्र में स्थित हो।

* बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो। (5,7,9)

* बृहस्पति लाभ भाव (ग्यारहवें भाव) में स्‍थित हो।

* द्वितीयेश उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।


* लग्नेश लग्न स्थान का स्वामी जहां बैठा हो, उससे दूसरे भाव का स्वामी उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।


* धनेश व लाभेश उच्च राशिगत हों।

* चंद्रमा व बृहस्पति की किसी शुभ भाव में यु‍ति हो।

* बृहस्पति धनेश होकर मंगल के साथ हो।

* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ केंद्र में हों।

* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ त्रिकोण में हों।

* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ लाभ भाव में हों।

* लग्न से तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हों।


* सप्तमेश दशम भाव में अपनी उच्च राशि में हो।


* सप्तमेश दशम भाव में हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में नवमेश के साथ हो।

सावधान: - 

किसी भी ग्रह के उपाय करने से पहले ध्यान दें। 

1. कभी भी उच्च के ग्रहों का दान नहीं करना चाहिए और नीच ग्रहों की कभी पूजा नहीं करनी चाहिए।

2. कुंडली में गुरु दशम भाव में हो या चौथे भाव में हो तो मंदिर निर्माण के लिए धन नहीं देना चाहिए यह अशुभ होता है और जातक को कभी भी फांसी तक पहुंचा सकता है।

3. कुंडली के सप्तम भाव में गुरु हो तो कभी भी पीले वस्त्र दान नहीं करने चाहिए।

4. बारहवें भाव में चन्द्र हो तो साधुओं का संग करना बहुत अशुभ होगा। इससे परिवार की वृद्धि रुक सकती है।

5. सप्तम/अष्टम सूर्य हो तो ताम्बे का दान नहीं देना चाहिए, धन की हानि होने लगेगी।

6. मंत्रोच्चारण के लिए शिक्षा-दीक्षा लेनी चाहिए क्योंकि अशुद्ध उच्चारण से लाभ की बजाय हानि अधिक होती है।

7. जब भी मंत्र का जाप करें उसे पूर्ण संख्या में करना जरूरी है।

8. मंत्र एक ही आसन पर, एक ही समय में सम संख्या में करना चाहिए।

9. मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद दशांश हवन अवश्य करना चाहिए तभी पूर्ण फल मिलता है।

10. कुछ लोग वार के अनुसार वस्त्र पहनते हैं, यह हर किसी के लिए सही नहीं होता है। कुंडली में जो ग्रह अच्छे हैं उनके वस्त्र पहनना शुभ है लेकिन जो ग्रह शुभ नहीं हैं उनके रंग के वस्त्र पहनना गलत हो सकता है।

11. कई बार किसी से सलाह लिए बिना कुछ लोग मोती पहन लेते हैं, यह गलत है अगर कुंडली में चन्द्रमा नीच का है तो मोती पहनने से व्यक्ति अवसाद में आ सकता है।

12. अक्सर देखा गया है कि किसी की शादी नहीं हो रही है तो ज्योतिषी बिना कुंडली देखे पुखराज पहनने की सलाह दे देते हैं इसका उल्टा प्रभाव होता है और शादी ही नहीं होती।

13. कुंडली में गुरु नीच का, अशुभ प्रभाव में, अशुभ भाव में हो तो पुखराज कभी भी नहीं पहनना चाहिए।

14. कई लोग घर में मनी प्लांट लगा लेते हैं यह सुनकर कि इससे घर में धन वृद्धि होगी लेकिन तथ्य तो यह है कि अगर बुध खराब हो तो घर में मनी प्लांट लगाने से घर की बहन-बेटी दुखी रहती हैं।

15. कैक्टस या कांटे वाले पौधे घर में लगाने से शनि प्रबल हो जाता है अतः जिनकी कुंडली में शनि खराब हो उन्हें ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए।

             
                     जयतु परशुराम: जयन्तु विप्रा: 

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