Friday, September 6, 2019

ग्रहों के जड़ीबूटी

जड़ी क्या है?
सामान्य भाषा में कहा जाए तो जड़ी पेड़-पौधों की जड़ होती है, जिनके द्वारा व्यक्तियों को चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं। हमारे वातावरण में कुछ ऐसे पेड़-पौधे होते हैं जिनकी जड़ों का प्रयोग ज्योतिषीय, आध्यात्मिक, धार्मिक और आयुर्वेद की दृष्टि से किया जाता है। चिकित्सा की दृष्टि से हम इन्हें जड़ी बूटी भी कहते हैं। इन जड़ों में बेल मूल, अनंत मूल, अरंड मूल, नागरमोथा की जड़, अश्वगंधा की जड़, धतूरे की जड़, भारंगी की जड़, केले आदि बहुत लाभकारी होती हैं।

ज्योतिष में जड़ियों का महत्व
वैदिक ज्योतिष में जड़ियों का बहुत बड़ा महत्व है। इनका प्रयोग विभिन्न उपाय के रूप में किया जाता है। ये जड़ें ग्रहों की शांति एवं उनके लाभ पाने के लिए धारण की जाती हैं। ज्योतिष में 9 ग्रह हैं, हालाँकि राहु और केतु दोनों छाया ग्रह की श्रेणी में आते हैं। ज्योतिष में ग्रह शांति के लिए जड़ियों को धारण करने का विधान है। हिन्दू ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि जड़ी वातावरण में व्याप्त ऊर्जा में संतुलन बनाने का कार्य करती हैं। यदि कोई जातक अपनी जन्म कुंडली के अनुसार किसी जड़ी को धारण करता है तो उसे इसके सकारात्मक लाभ मिलते हैं। हालाँकि जड़ी के लाभ पाने के लिए इन्हें पूरे विधि विधान के साथ धारण अथवा पहना जाता है।

ग्रह और उनसे सबंधित जड़ी
राशि चक्र में 12 राशियाँ होती हैं और इन राशियों के स्वामी ग्रह होते हैं। हालाँकि राहु और केतु ग्रह किसी भी राशि के स्वामी नहीं होते हैं। नीचे तालिका में आपको ग्रह और उनसे संबंधित राशि तथा जड़ियों को बताया गया है -

ग्रह राशि जड़ी
सूर्य सिंह बेल
चंद्र कर्क खिरनी
मंगल मेष, वृश्चिक अनंतमूल
बुध मिथुन, कन्या विधारा की जड़
बृहस्पति (गुरु) धनु, मीन केले, हल्दी की जड़
शुक्र वृषभ (वृष), तुला अरंड, सरपंखा मूल
शनि मकर, कुंभ धतूरे, बिच्छू की जड़
राहु - नागरमोथा की जड़
केतु - अश्वगंधा की जड़
आयुर्वेद में जड़ियों का महत्व
प्राचीन काल में आयुर्वेद की रचना धन्वंतरि ने की थी और आयुर्वेद में जड़ियों की बड़ी महती भूमिका होती है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनी विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए जड़ी-बूटियों का ही प्रयोग करते थे। शल्य, चरक और सुश्रुत जैसे महान ऋषियों ने भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति को महान बनाने में बहुत बड़ा योग दिया था।

रामायण काल में संजीवनी बूटी का प्रसंग आता है, इस जड़ी बूटी से ही मूर्छित लक्ष्मण पुनः स्वस्थ हुए थे। उपचार के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली जड़ी बूटी विशेषता यह होती है कि इसके रोगी पर किसी प्रकार के ग़लत प्रभाव नहीं देखने को मिलते हैं। आज भी भारत के सूदूर और वनवासी क्षेत्रों में रोगों के इलाज के लिए पेड़-पौधों की जड़ों का ही प्रयोग किया जाता है।

आध्यात्म में जड़ियों का महत्व
मन की शांति के लिए व्यक्ति आध्यात्म की शरण लेता है। वह आध्यात्मिक ज्ञान के प्रभाव से सांसारिक मोह माया को त्याग कर वैराग्य जीवन की ओर कदम बढ़ाता है। अश्वगंधा की जड़, ऐसी जड़ है जिसको धारण करने से व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु ग्रह के लिए इस जड़ को धारण किया जाता है। ज्योतिष में केतु ग्रह को आध्यात्मिक और वैराग्य जीवन का कारक माना जाता है।

धार्मिक दृष्टि से जड़ी
धार्मिक दृष्टिकोण व्यक्ति के मन में सात्विक विचारों को पैदा करता है। यह व्यक्ति को कर्तव्यों का बोध कराता है और व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलकर सत्य की खोज में लगा रहता है। धार्मिक दृष्टिकोण से जड़ियों का बड़ा महत्व होता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को धर्म का कारक माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के धार्मिक स्वभाव में वृद्धि होती है और इसके लिए केले अथवा हल्दी की जड़ माध्यम बनती है।

रत्नों के विकल्प के रूप में जड़ियाँ
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की शांति तथा उनके शुभ प्रभावों का फल पाने के लिए रत्न और जड़ियाँ धारण की जाती हैं। परंतु ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि जब कोई व्यक्ति किसी विशेष ग्रह के लिए अथवा इच्छा से रत्न को धारण करता है तो जातक के जीवन पर उसके साइड इफेक्ट्स भी पड़ सकते हैं। लेकिन जड़ियों को धारण करने से लोगों पर इसके किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव नहीं पड़ते हैं। इसके साथ ही ज्योतिषीय दृष्टि से जड़ियों और रत्नों के समान लाभ प्राप्त होते हैं। परंतु रत्नों की क़ीमत जड़ियों अधिक होती है। अतः जड़ियाँ रत्न के मुकाबले सस्ती और किफायती होती हैं। इसलिए जड़ियों को रत्नों का बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता है।

जड़ियों के लाभ
ज्योतिषीय लाभ पाने के लिए जड़ियों को धारण किया जाता है
चिकित्सा के लिए जड़ियाँ बहुत बहुत उपयोगी हैं
धार्मिक दृष्टि से जड़ियाँ बहुत कारगर होती हैं
बेल मूूल को धारण करने से सरकारी नौकरी में सफलता मिलती है
खिरनी की जड़ मन को एकाग्र तथा मानसिक शांति प्रदान करती है
अनंत मूल को धारण करने से व्यक्ति साहसी और निडर बनता है
विधारा मूल से व्यक्ति की बौद्धिक शक्ति तीव्र होती है
केले की जड़ से व्यक्ति को संतान सुख, ज्ञान प्राप्त होता है
अरंड मूल से व्यक्ति व्यक्ति का प्रेम और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है
धतूरे की जड़ बुरी नज़र से बचाती है
नागरमोथा की जड़ से व्यक्ति की सांसारिक कामनाएं पूर्ण होती हैं
अश्वगंधा की जड़ से व्यक्ति को आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है
यहाँ इन जड़ियों के सीमित लाभ को बताया गया है लेकिन वास्तव में इन जड़ियों के विभिन्न प्रकार के लाभ जातक को प्राप्त होते हैं

No comments:

Post a Comment