क्या है रुद्राक्ष ?
रुद्राक्ष एक फल की गुठली है या यूँ कहे कि फल के अंदर निकलने वाला एक प्रकार का बीज है। आमतौर पर यह पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आँखों के जलबिंदु से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि कठोर तपस्या के बाद जब भगवान शंकर ने अपनी आँखें खोली तो उनकी आँखों से कुछ आंसू धरती पर आ गिरे और उन्हीं आंसूओं से रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई।
रुद्राक्ष “रुद्र” + “अक्ष” इन दो शब्दों से मिलकर बना है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, जिसमें “रुद्र” भगवान शिव का ही एक नाम है और अक्ष अर्थात “आंसू”। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है वह भगवान शिव को प्रिय होता है।
रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में भी किया जाता है। इसे धारण करने से इन्सान को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष शिव का एक वरदान है, जो संसार के भौतिक दुःखों को दूर करने के लिए प्रकट किया गया है।
रुद्राक्ष के प्रकार
यह सुनिश्चित कर पाना कि रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है बेहद कठिन है। विशेषज्ञों के अनुसार रुद्राक्ष 14 मुखी और शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी तक होते है। लेकिन आमतौर पर रुद्राक्ष 21 मुखी तक ही देखने को मिलते हैं।
आईये जानते हैं रुद्राक्ष के प्रकार -
एक मुखी रुद्राक्ष
शास्त्रों के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान शंकर का ही रूप है, जिसकी उत्पत्ति बहुत ही कम होती है इसीलिए इसे प्राप्त कर पाना बेहद कठिन है। एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य से जुड़े दोषों को खत्म करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से नेत्र संबधी रोग, ह्रदय रोग , पेट की समस्या और हड्डी से जुड़ी दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सांसारिक, मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यदि कर्क, सिंह और मेष राशि वाले व्यक्ति इसे धारण करें तो यह उनके लिए अधिक फलदायक होता है।
दो मुखी रुद्राक्ष
सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाले दो मुखी रुद्राक्ष को गौरी-शंकर का स्वरुप माना जाता है। मष्तिष्क, ह्रदय, फेफड़ों और नेत्र संबंधी रोगों में यह रुद्राक्ष विशेष लाभ देता है। ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से भगवान अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं और दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज बढ़ने का आशीष देते हैं।
इस रुद्राक्ष को धारण करने और नियमित रूप से इसकी पूजा करने से गौ हत्या के पाप का दोष भी समाप्त हो जाता है। यदि किसी युवक या युवती के विवाह में देरी हो रही हो तो इस रुद्राक्ष को धारण करने से जल्द ही शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। कर्क राशी वालों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी होता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष
भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाले तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना जाता है। यह रुद्राक्ष नीरस बन चुके जीवन में फिर से नई उमंग जगाने का काम करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। यह पेट से जुड़ी सभी बिमारियों के लिए बहुत लाभदायक है।
चार मुखी रुद्राक्ष
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाले चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से संतान की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष किसी सामान्य व्यक्ति की बुद्धि को भी तीव्र कर देता है और शरीर के अनेक रोगों को भी दूर करने में भी मददगार सिद्ध होता है। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बोली में मिठास और दूसरों को अपनी और आकर्षित करने की कला विकसित होती है।
इसकी मदद से वेदों और धार्मिक ग्रंथो के अध्यन में भी सफलता प्राप्त होती है। शिव महापुराण के अनुसार जीव हत्या के पाप से भी मुक्ति की चाह रखने वालों को इस रुद्राक्ष को लम्बे समय तक धारण करने और भगवान शिव के बीज मंत्रो का जाप करना चाहिए।
पांच मुखी रुद्राक्ष
सुख प्रदान करने वाले पांच मुखी रुद्राक्ष को सर्वगुण संपन्न कहा जाता है। ऐसा कहा गया है कि यह रुद्राक्ष भगवान शिव को सबसे प्रिय है इसीलिए इसे बाकि सभी रुद्राक्षो में सबसे ज्यादा शुभ मानते हैं। शास्त्रों के अनुसार पांच मुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का निवास माना गया है।
पांच मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बृहस्पति है इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से बृहस्पति ग्रह के कारण होने वाली समस्याएं अपने आप दूर हो जाती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सुख-शांति और प्रसद्धि मिलती है। साथ ही रक्तचाप और मधुमेह सामान्य रहता है। यह रुद्राक्ष पेट के रोगों में भी लाभ पहुंचाता है और मन में आने वाले किसी भी प्रकार के गलत विचारो को नियंत्रित कर मानसिक रूप से हमें स्वस्थ बनाता है।
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशी वालों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।
छह मुखी रुद्राक्ष
पापों से मुक्ति और संतान की चाह पूरी करने वाले छह मुखी रुद्राक्ष को शंकर पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है। शिव महापुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करे और इसकी नियमित पूजा करे तो उसे ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दिमाग का विकास होता है और साथ ही नेतृत्व करने की क्षमता भी बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करने के बाद इसे धारण किया जाए तो जातक को भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा मिलती है जिसके फलस्वरूप जीवन में आने वाली हर तरह की कठिनाईयां अपने आप ही दूर होने लगती हैं। शुक्र देव को इस रुद्राक्ष का प्रधान माना गया है।
सात मुखी रुद्राक्ष
दरिद्रता को दूर करने वाला सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्त्व करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। जातक के घर में धन की बढ़ोतरी होती है। ऐसा माना गया है कि सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव होता है इसलिए इसे विधिवत धारण करने से शनिदेव खुश होते हैं और अपनी विशेष कृपा बनाये रखते है।
सात मुखी होने के कारण यह रुद्राक्ष हमारे शरीर में सप्धातुओं की रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसीलिए जो व्यक्ति मानसिक बीमारी या फिर जोड़ो के दर्द से परेशान हैं, उन्हें इस रुद्राक्ष को ज़रूर धारण करना चाहिए।
आठ मुखी रुद्राक्ष
आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले आठ मुखी रुद्राक्ष को भैरो देव जी का स्वरुप माना जाता है और इसके मुख्य देव गणेश जी होते है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से अष्ट देवियों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इन्द्रियों को नियंत्रण में करने की शक्ति जागृत होती है।
यह रुद्राक्ष जातक को बुद्धि, ज्ञान, धन और यश प्रदान करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से और इसकी विधिवत पूजा करने से स्त्री भोग के पाप से मुक्ति मिलती है। आठ मुखी रुद्राक्ष राहू ग्रह से सम्बंधित है। कुंडली में राहू दोष के कारण आ रही कठिनाईओं को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें।
नौ मुखी रुद्राक्ष
मृत्यु के डर से मुक्ति देने वाले नौ मुखी रुद्राक्ष को माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ-साथ इस रुद्राक्ष पर कपिल मुनि और भैरोदेव की भी कृपा होती है। नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से देवी दुर्गा द्वारा शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस रुद्राक्ष का प्रधान ग्रह केतु है इसीलिए यह केतु ग्रह के कारण जीवन में आने वाले सभी प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है।
यह रुद्राक्ष कीर्ति और मान -सम्मान में वृद्धि दिलाता है और इससे मन को शांति भी मिलती है। माँ दुर्गा का स्वरुप होने की वजह से यह रक्षा कवच का भी काम करता है। वे जातक जो माँ दुर्गा की पूजा करते हैं, उन्हें यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
दस मुखी रुद्राक्ष
शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाले इस रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भूत-प्रेत और उपरी बाधाएं जैसी नकारात्मक शक्तियां जातक के शरीर से दूर रहती हैं। वैसे लोग जो तंत्र-मंत्र और साधना आदि करते हैं उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। दस मुखी रुद्राक्ष पेट के रोगों में, गठिया, दमा और नेत्र रोगों में विशेष लाभ पहुंचाता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
विजय, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाले ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर के 11 रुद्रों का प्रतीक माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव के 11वे अवतार यानि कि हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है। यदि आप व्यापार में उन्नत्ति चाहते हैं तो आपको इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अकाल मृत्यु के भय को भी खत्म करता है। यह रुद्राक्ष धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ -हवन आदि जैसे धार्मिक कार्यों में भी सफलता प्रदान करता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष
धन प्राप्ति कराने वाले बारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान महा विष्णु का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बड़े से बड़ा रोग भी स्वतः ठीक हो जाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ह्रदय, मष्तिस्क और उदर रोगों में लाभ मिलता है। इस रुद्राक्ष द्वारा गौ हत्या और रत्नों की चोरी जैसे महा पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओ से आपकी रक्षा करता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष
शुभ और लाभ प्रदान कराने वाले तेरह मुखी रुद्राक्ष को स्वर्ग के राजा इन्द्र देव का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से कामदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वशीकरण या फिर सम्मोहित करने का गुण भी विकसित होता है। यह रुद्राक्ष सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बना देता है। वैसे लोग जिनके जीवन में प्यार और ग्रहस्थ सुख की कमी हो वे इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
चौदह मुखी रुद्राक्ष
संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाले चौदह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् हनुमान जी का स्वरुप माना गया है। वैसे लोग जो हनुमान जी की उपासना करते हैं उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भूत-प्रेत और उपरी बाधाएं खुद ही अपना स्थान छोड़ देती हैं। यह रुद्राक्ष जातक को उर्जावान और निरोगी बनाता है।
इसके अलावा गणेश मुखी रुद्राक्ष और गौरी-शंकर रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार रुद्राक्ष प्रत्येक व्यक्ति को पहनना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे
रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ही अधिक प्रिय होते हैं इसीलिए लोग उन्हें प्रसन्न करने के लिए और विभिन्न प्रकार के कष्टों से छुटकारा पाने के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं। सही रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति का कल्याण होता है और उसके व्यक्तित्व पर असीमित सकारात्मक एवं आध्यात्मिक प्रभाव पड़ते हैं। आईये जानते हैं रुद्राक्ष पहनने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे -
रुद्राक्ष किसी व्यक्ति द्वारा किये गए गलत कर्मों की प्रतिक्रियाओं को कम करता है।
यह आपको दुर्घटनाओं और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से सुरक्षित रखता है।
यह ग्रहों आदि के दोष और काला जादू के बुरे प्रभाव को भी ठीक करता है।
रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति के रक्तचाप के संचालन में सुधार होता है।
यह हमारे दैनिक जीवन में होने वाले तनाव को कम करता है और दिमाग को ठंडा रखता है।
रुद्राक्ष घबराहट और अवसाद को भी कम करता है।
रुद्राक्ष हमारे शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए बेहद उपयोगी है। जो लोग अधिक यात्रा करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
सोते समय यह अधिक उपयोगी होगा और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
रुद्राक्ष का धार्मिक तौर पर भी बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति पर भगवान् शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह हमें सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखता है और भय से भी मुक्ति दिलाता है। आप रुद्राक्ष के धार्मिक महत्व को इसके मुख के आधार पर और स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं ।
रुद्राक्ष धारण करने के न केवल धार्मिक महत्व हैं बल्कि इसके ढेरों वैज्ञानिक महत्व भी होते हैं। रुद्राक्ष में मौजूद रोम छिद्रों से एक अलग तरह का स्पदंन होता है जिसका मनुष्य के ह्रदय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रुद्राक्ष धारण करने से ह्रदय रक्त चाप एकदम सामान्य रहता है और साथ ही इससे निकलने वाली विशेष तरंगे मानव के मस्तिस्क पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाती हैं। रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति तनाव ,चिंता और अवसाद आदि से मुक्त रहता है |
रुद्राक्ष पहनने के नियम
साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप कहे जाने वाले रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। रुद्राक्ष के कई प्रकार के होते हैं और आप अपनी समस्या के अनुसार इन्हें धारण कर सकते हैं।
बहुत से लोगों को उनकी राशि के अधिपति ग्रह की जानकारी नहीं होती जिसकी वजह से उन्हें यह समझ नहीं आता कि वे अपनी समस्या के अनुसार कौन-सा रुद्राक्ष धारण करे। ऐसे ही कोई भी रुद्राक्ष पहन लेने से वह निष्फल हो जाता है।
एस्ट्रोसेज द्वारा आपकी इस समस्या का हल करने के लिए रुद्राक्ष कैलकुलेटर की उत्पति की गयी है जिसकी मदद से आप अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष की जानकारी हासिल कर सकते हैं। हर एक व्यक्ति को अपने राशि के अनुसार शुभ रुद्राक्ष के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष में भगवान शंकर और माता पार्वती की शक्तियां समाहित होती हैं इसीलिए इसे धारण करने वाले इन्सान पर दोनों का आशीर्वाद होता है। रुद्राक्ष ग्रहों के अनुसार भी धारण किए जाते हैं। एक से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक किसी ना किसी ग्रह से संबंध रखते हैं। कुछ लोग ग्रहों की शांति के लिए भी रुद्राक्ष धारण करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में ग्रहों का अशुभ प्रभाव है तो उसे शांत करने के लिए रुद्राक्ष सबसे अच्छा उपाय माना गया है। रुद्राक्ष धरती पर उपलब्ध एक अनमोल उपहार की भांति है जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे जातक को कोई नुकसान नहीं होता।
लेकिन यदि रुद्राक्ष को बिना किसी पूजन के धारण किया जाये तो यह सिर्फ वैज्ञानिक लाभ देता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष को धारण करने की एक विधि होती है, जिसके अनुसार यदि इसे धारण किया जाये तो यह बहुत ही लाभदायक होता है।
आइये जानते हैं रुद्राक्ष धारण करने की पूरी विधि -
हम में से बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि इसे कब धारण करना चाहिए तो हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष को आप श्रावण के महीने में किसी भी सोमवार के दिन या फिर आप पूरे श्रावण महीने में किसी भी दिन धारण कर सकते हैं। इसके अलावा आप शिवरात्रि या किसी भी पूर्णिमा के दिन भी रुद्राक्ष धारण कर सकते है |
कभी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे 7 दिन तक सरसों के तेल में डुबो कर रखना चाहिए। जिस पवित्र दिन आप रुद्राक्ष धारण करें उस दिन इसे पंचामृत (दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल) से स्नान कराये इसके बाद फिर से इसे गंगाजल से स्नान कराये। हवन से निकली हुई भभूती से रुद्राक्ष पर तिलक करने के बाद “ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात ” मंत्र का जाप करते हुए इसे गले में धारण करें। यदि आपके पास हवन की भभूति उपलब्ध नहीं है तो आप कुमकुम से रुद्राक्ष पर तिलक कर सकते हैं।
इसके अलावा जब भी आप शिव मंदिर जाएं रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श जरूर कराये और प्रत्येक महीने में इसे पंचामृत और गंगाजल से कम से कम 2 सोमवार को स्नान जरूर कराये। ऐसा करने से आपके जीवन से नकारात्मकता और परेशानियां दूर हो जाएँगी। साथ ही आप शिव-पार्वती का आशीर्वाद भी बना रहेगा।
रुद्राक्ष एक फल की गुठली है या यूँ कहे कि फल के अंदर निकलने वाला एक प्रकार का बीज है। आमतौर पर यह पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आँखों के जलबिंदु से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि कठोर तपस्या के बाद जब भगवान शंकर ने अपनी आँखें खोली तो उनकी आँखों से कुछ आंसू धरती पर आ गिरे और उन्हीं आंसूओं से रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई।
रुद्राक्ष “रुद्र” + “अक्ष” इन दो शब्दों से मिलकर बना है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, जिसमें “रुद्र” भगवान शिव का ही एक नाम है और अक्ष अर्थात “आंसू”। इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है वह भगवान शिव को प्रिय होता है।
रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में भी किया जाता है। इसे धारण करने से इन्सान को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष शिव का एक वरदान है, जो संसार के भौतिक दुःखों को दूर करने के लिए प्रकट किया गया है।
रुद्राक्ष के प्रकार
यह सुनिश्चित कर पाना कि रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है बेहद कठिन है। विशेषज्ञों के अनुसार रुद्राक्ष 14 मुखी और शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी तक होते है। लेकिन आमतौर पर रुद्राक्ष 21 मुखी तक ही देखने को मिलते हैं।
आईये जानते हैं रुद्राक्ष के प्रकार -
एक मुखी रुद्राक्ष
शास्त्रों के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान शंकर का ही रूप है, जिसकी उत्पत्ति बहुत ही कम होती है इसीलिए इसे प्राप्त कर पाना बेहद कठिन है। एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य से जुड़े दोषों को खत्म करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से नेत्र संबधी रोग, ह्रदय रोग , पेट की समस्या और हड्डी से जुड़ी दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सांसारिक, मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यदि कर्क, सिंह और मेष राशि वाले व्यक्ति इसे धारण करें तो यह उनके लिए अधिक फलदायक होता है।
दो मुखी रुद्राक्ष
सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाले दो मुखी रुद्राक्ष को गौरी-शंकर का स्वरुप माना जाता है। मष्तिष्क, ह्रदय, फेफड़ों और नेत्र संबंधी रोगों में यह रुद्राक्ष विशेष लाभ देता है। ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से भगवान अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं और दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज बढ़ने का आशीष देते हैं।
इस रुद्राक्ष को धारण करने और नियमित रूप से इसकी पूजा करने से गौ हत्या के पाप का दोष भी समाप्त हो जाता है। यदि किसी युवक या युवती के विवाह में देरी हो रही हो तो इस रुद्राक्ष को धारण करने से जल्द ही शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। कर्क राशी वालों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी होता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष
भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाले तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना जाता है। यह रुद्राक्ष नीरस बन चुके जीवन में फिर से नई उमंग जगाने का काम करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्त्री हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। यह पेट से जुड़ी सभी बिमारियों के लिए बहुत लाभदायक है।
चार मुखी रुद्राक्ष
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाले चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से संतान की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष किसी सामान्य व्यक्ति की बुद्धि को भी तीव्र कर देता है और शरीर के अनेक रोगों को भी दूर करने में भी मददगार सिद्ध होता है। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बोली में मिठास और दूसरों को अपनी और आकर्षित करने की कला विकसित होती है।
इसकी मदद से वेदों और धार्मिक ग्रंथो के अध्यन में भी सफलता प्राप्त होती है। शिव महापुराण के अनुसार जीव हत्या के पाप से भी मुक्ति की चाह रखने वालों को इस रुद्राक्ष को लम्बे समय तक धारण करने और भगवान शिव के बीज मंत्रो का जाप करना चाहिए।
पांच मुखी रुद्राक्ष
सुख प्रदान करने वाले पांच मुखी रुद्राक्ष को सर्वगुण संपन्न कहा जाता है। ऐसा कहा गया है कि यह रुद्राक्ष भगवान शिव को सबसे प्रिय है इसीलिए इसे बाकि सभी रुद्राक्षो में सबसे ज्यादा शुभ मानते हैं। शास्त्रों के अनुसार पांच मुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों का निवास माना गया है।
पांच मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बृहस्पति है इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से बृहस्पति ग्रह के कारण होने वाली समस्याएं अपने आप दूर हो जाती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सुख-शांति और प्रसद्धि मिलती है। साथ ही रक्तचाप और मधुमेह सामान्य रहता है। यह रुद्राक्ष पेट के रोगों में भी लाभ पहुंचाता है और मन में आने वाले किसी भी प्रकार के गलत विचारो को नियंत्रित कर मानसिक रूप से हमें स्वस्थ बनाता है।
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशी वालों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।
छह मुखी रुद्राक्ष
पापों से मुक्ति और संतान की चाह पूरी करने वाले छह मुखी रुद्राक्ष को शंकर पुत्र कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है। शिव महापुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस रुद्राक्ष को विधिवत धारण करे और इसकी नियमित पूजा करे तो उसे ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल सकती है।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दिमाग का विकास होता है और साथ ही नेतृत्व करने की क्षमता भी बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि यदि इस रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करने के बाद इसे धारण किया जाए तो जातक को भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा मिलती है जिसके फलस्वरूप जीवन में आने वाली हर तरह की कठिनाईयां अपने आप ही दूर होने लगती हैं। शुक्र देव को इस रुद्राक्ष का प्रधान माना गया है।
सात मुखी रुद्राक्ष
दरिद्रता को दूर करने वाला सात मुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्त्व करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। जातक के घर में धन की बढ़ोतरी होती है। ऐसा माना गया है कि सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव होता है इसलिए इसे विधिवत धारण करने से शनिदेव खुश होते हैं और अपनी विशेष कृपा बनाये रखते है।
सात मुखी होने के कारण यह रुद्राक्ष हमारे शरीर में सप्धातुओं की रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसीलिए जो व्यक्ति मानसिक बीमारी या फिर जोड़ो के दर्द से परेशान हैं, उन्हें इस रुद्राक्ष को ज़रूर धारण करना चाहिए।
आठ मुखी रुद्राक्ष
आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले आठ मुखी रुद्राक्ष को भैरो देव जी का स्वरुप माना जाता है और इसके मुख्य देव गणेश जी होते है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से अष्ट देवियों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इन्द्रियों को नियंत्रण में करने की शक्ति जागृत होती है।
यह रुद्राक्ष जातक को बुद्धि, ज्ञान, धन और यश प्रदान करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से और इसकी विधिवत पूजा करने से स्त्री भोग के पाप से मुक्ति मिलती है। आठ मुखी रुद्राक्ष राहू ग्रह से सम्बंधित है। कुंडली में राहू दोष के कारण आ रही कठिनाईओं को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करें।
नौ मुखी रुद्राक्ष
मृत्यु के डर से मुक्ति देने वाले नौ मुखी रुद्राक्ष को माँ भगवती की नौ शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ-साथ इस रुद्राक्ष पर कपिल मुनि और भैरोदेव की भी कृपा होती है। नौ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से देवी दुर्गा द्वारा शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस रुद्राक्ष का प्रधान ग्रह केतु है इसीलिए यह केतु ग्रह के कारण जीवन में आने वाले सभी प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है।
यह रुद्राक्ष कीर्ति और मान -सम्मान में वृद्धि दिलाता है और इससे मन को शांति भी मिलती है। माँ दुर्गा का स्वरुप होने की वजह से यह रक्षा कवच का भी काम करता है। वे जातक जो माँ दुर्गा की पूजा करते हैं, उन्हें यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
दस मुखी रुद्राक्ष
शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाले इस रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भूत-प्रेत और उपरी बाधाएं जैसी नकारात्मक शक्तियां जातक के शरीर से दूर रहती हैं। वैसे लोग जो तंत्र-मंत्र और साधना आदि करते हैं उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। दस मुखी रुद्राक्ष पेट के रोगों में, गठिया, दमा और नेत्र रोगों में विशेष लाभ पहुंचाता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
विजय, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाले ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर के 11 रुद्रों का प्रतीक माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव के 11वे अवतार यानि कि हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है। यदि आप व्यापार में उन्नत्ति चाहते हैं तो आपको इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अकाल मृत्यु के भय को भी खत्म करता है। यह रुद्राक्ष धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ -हवन आदि जैसे धार्मिक कार्यों में भी सफलता प्रदान करता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष
धन प्राप्ति कराने वाले बारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान महा विष्णु का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बड़े से बड़ा रोग भी स्वतः ठीक हो जाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ह्रदय, मष्तिस्क और उदर रोगों में लाभ मिलता है। इस रुद्राक्ष द्वारा गौ हत्या और रत्नों की चोरी जैसे महा पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओ से आपकी रक्षा करता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष
शुभ और लाभ प्रदान कराने वाले तेरह मुखी रुद्राक्ष को स्वर्ग के राजा इन्द्र देव का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से कामदेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वशीकरण या फिर सम्मोहित करने का गुण भी विकसित होता है। यह रुद्राक्ष सभी ग्रहों के प्रभाव को अपने अनुकूल बना देता है। वैसे लोग जिनके जीवन में प्यार और ग्रहस्थ सुख की कमी हो वे इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
चौदह मुखी रुद्राक्ष
संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाले चौदह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् हनुमान जी का स्वरुप माना गया है। वैसे लोग जो हनुमान जी की उपासना करते हैं उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भूत-प्रेत और उपरी बाधाएं खुद ही अपना स्थान छोड़ देती हैं। यह रुद्राक्ष जातक को उर्जावान और निरोगी बनाता है।
इसके अलावा गणेश मुखी रुद्राक्ष और गौरी-शंकर रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार रुद्राक्ष प्रत्येक व्यक्ति को पहनना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे
रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ही अधिक प्रिय होते हैं इसीलिए लोग उन्हें प्रसन्न करने के लिए और विभिन्न प्रकार के कष्टों से छुटकारा पाने के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं। सही रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति का कल्याण होता है और उसके व्यक्तित्व पर असीमित सकारात्मक एवं आध्यात्मिक प्रभाव पड़ते हैं। आईये जानते हैं रुद्राक्ष पहनने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे -
रुद्राक्ष किसी व्यक्ति द्वारा किये गए गलत कर्मों की प्रतिक्रियाओं को कम करता है।
यह आपको दुर्घटनाओं और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से सुरक्षित रखता है।
यह ग्रहों आदि के दोष और काला जादू के बुरे प्रभाव को भी ठीक करता है।
रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति के रक्तचाप के संचालन में सुधार होता है।
यह हमारे दैनिक जीवन में होने वाले तनाव को कम करता है और दिमाग को ठंडा रखता है।
रुद्राक्ष घबराहट और अवसाद को भी कम करता है।
रुद्राक्ष हमारे शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए बेहद उपयोगी है। जो लोग अधिक यात्रा करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
सोते समय यह अधिक उपयोगी होगा और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।
रुद्राक्ष का धार्मिक तौर पर भी बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति पर भगवान् शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह हमें सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखता है और भय से भी मुक्ति दिलाता है। आप रुद्राक्ष के धार्मिक महत्व को इसके मुख के आधार पर और स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं ।
रुद्राक्ष धारण करने के न केवल धार्मिक महत्व हैं बल्कि इसके ढेरों वैज्ञानिक महत्व भी होते हैं। रुद्राक्ष में मौजूद रोम छिद्रों से एक अलग तरह का स्पदंन होता है जिसका मनुष्य के ह्रदय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रुद्राक्ष धारण करने से ह्रदय रक्त चाप एकदम सामान्य रहता है और साथ ही इससे निकलने वाली विशेष तरंगे मानव के मस्तिस्क पर भी सकारात्मक प्रभाव दिखाती हैं। रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति तनाव ,चिंता और अवसाद आदि से मुक्त रहता है |
रुद्राक्ष पहनने के नियम
साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप कहे जाने वाले रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। रुद्राक्ष के कई प्रकार के होते हैं और आप अपनी समस्या के अनुसार इन्हें धारण कर सकते हैं।
बहुत से लोगों को उनकी राशि के अधिपति ग्रह की जानकारी नहीं होती जिसकी वजह से उन्हें यह समझ नहीं आता कि वे अपनी समस्या के अनुसार कौन-सा रुद्राक्ष धारण करे। ऐसे ही कोई भी रुद्राक्ष पहन लेने से वह निष्फल हो जाता है।
एस्ट्रोसेज द्वारा आपकी इस समस्या का हल करने के लिए रुद्राक्ष कैलकुलेटर की उत्पति की गयी है जिसकी मदद से आप अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष की जानकारी हासिल कर सकते हैं। हर एक व्यक्ति को अपने राशि के अनुसार शुभ रुद्राक्ष के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष में भगवान शंकर और माता पार्वती की शक्तियां समाहित होती हैं इसीलिए इसे धारण करने वाले इन्सान पर दोनों का आशीर्वाद होता है। रुद्राक्ष ग्रहों के अनुसार भी धारण किए जाते हैं। एक से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक किसी ना किसी ग्रह से संबंध रखते हैं। कुछ लोग ग्रहों की शांति के लिए भी रुद्राक्ष धारण करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में ग्रहों का अशुभ प्रभाव है तो उसे शांत करने के लिए रुद्राक्ष सबसे अच्छा उपाय माना गया है। रुद्राक्ष धरती पर उपलब्ध एक अनमोल उपहार की भांति है जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे जातक को कोई नुकसान नहीं होता।
लेकिन यदि रुद्राक्ष को बिना किसी पूजन के धारण किया जाये तो यह सिर्फ वैज्ञानिक लाभ देता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष को धारण करने की एक विधि होती है, जिसके अनुसार यदि इसे धारण किया जाये तो यह बहुत ही लाभदायक होता है।
आइये जानते हैं रुद्राक्ष धारण करने की पूरी विधि -
हम में से बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि इसे कब धारण करना चाहिए तो हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष को आप श्रावण के महीने में किसी भी सोमवार के दिन या फिर आप पूरे श्रावण महीने में किसी भी दिन धारण कर सकते हैं। इसके अलावा आप शिवरात्रि या किसी भी पूर्णिमा के दिन भी रुद्राक्ष धारण कर सकते है |
कभी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे 7 दिन तक सरसों के तेल में डुबो कर रखना चाहिए। जिस पवित्र दिन आप रुद्राक्ष धारण करें उस दिन इसे पंचामृत (दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल) से स्नान कराये इसके बाद फिर से इसे गंगाजल से स्नान कराये। हवन से निकली हुई भभूती से रुद्राक्ष पर तिलक करने के बाद “ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात ” मंत्र का जाप करते हुए इसे गले में धारण करें। यदि आपके पास हवन की भभूति उपलब्ध नहीं है तो आप कुमकुम से रुद्राक्ष पर तिलक कर सकते हैं।
इसके अलावा जब भी आप शिव मंदिर जाएं रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श जरूर कराये और प्रत्येक महीने में इसे पंचामृत और गंगाजल से कम से कम 2 सोमवार को स्नान जरूर कराये। ऐसा करने से आपके जीवन से नकारात्मकता और परेशानियां दूर हो जाएँगी। साथ ही आप शिव-पार्वती का आशीर्वाद भी बना रहेगा।
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