क्या है मांगलिक दोष
मांगलिक दोष के उपायों के बारे में जानने से पहले ये जानना बेहद आवश्यक है की आखिर मांगलिक दोष होता क्या है। ज्योतिषीय आधार पर कहें तो जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव यानि की पहला भाव, चौथा भाव, सातवाँ भाव, आठवां भाव और बारहवें भाव में मंगल ग्रह उपस्थित हो तो, उस व्यक्ति को मांगलिक माना जाता है यानि की उसकी कुंडली में मंगल दोष होता है। इस दोष को विशेष रूप से शादी के लिए ख़ासा हानिकारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मंगल दोष का किसी व्यक्ति की कुंडली में होना उसके वैवाहिक जीवन में मुसीबतें पैदा कर सकता है। विवाह के बाद जीवन में आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए इस दोष का बेहतर उपाय ज़रूर कर लेना चाहिए।
इस प्रकार से लगाएँ मंगल दोष का पता
हमारे समाज में मंगल दोष को लेकर लोगों के मन में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियाँ हैं। अधिकाँश लोग ऐसा भी मानते हैं की जिनका जन्म मंगलवार के दिन होता है वो विशेष रूप से मांगलिक ही होते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा की ये महज एक मिथक है, जरूरी नहीं की मंगलवार के दिन पैदा होने वाले सभी लोग मांगलिक ही हों। विवाह के वक़्त लड़के लड़की की कुंडली मिलान के वक़्त इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है की, दोनों में से किसी की कुंडली में मंगल दोष तो नहीं है। होने वाले वर या वधु में से यदि किसी की कुंडली में भी मंगल दोष पाया जाता है तो उसे वैवाहिक जीवन के लिए नुकसानदेह माना जाता है। इस दोष को लेकर लोगों में ये भ्रम है की यदि कुंडली में ये दोष हो तो विवाह के बाद शादीशुदा जोड़े को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन वास्तविकता की बात करें तो शादी के बाद जीवन में आने वाली मुसीबतों के लिए केवल मंगल दोष ही एक मात्र कारण नहीं है। आईये ज्योतिषीय आधार पर जानते हैं की कुंडली में मंगल दोष का होना कब आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के लग्न भाव यानि की प्रथम भाव में मंगल स्थित हो तो ऐसी स्थिति में मंगल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और उसे स्वभाव से जिद्दी बनाता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में मंगल की उपस्थिति होती है तो जीवन में सुख संसाधनों की कमी रहती है। इसके साथ ही विवाह के बाद वैवाहिक जीवन को भी ये प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है।
अब यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में मंगल स्थित हो तो इसका प्रभाव उस व्यक्ति की आजीविका के साधनों और दांपत्य जीवन पर परस्पर रूप से पड़ता है।
यदि व्यक्ति के आठवें भाव में मंगल की स्थिति हो तो, ऐसी स्थिति में विवाह के बाद पति पत्नी में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
यदि व्यक्ति की कुंडली के बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो, ऐसे में मंगल का बुरा प्रभाव व्यक्ति के दांपत्य जीवन के साथ ही साथ उसके आर्थिक जीवन पर भी पड़ता है।
मंगल दोष किसी की कुंडली में होना चिंता का विषय तब बन जाता है जब मंगल ग्रह की उपस्थिति व्यक्ति की कुंडली के आठवें भाव में हो। इस भाव में मंगल ग्रह का होना मांगलिक दोष को विशेष रूप से सशक्त बना देता है क्योंकि इसके प्रभाव से विवाह के बाद शादीशुदा जोड़े में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
इस प्रकार से करें मांगलिक दोष का निवारण
मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन गणेश जी को लाल फूल चढ़ाते हुए “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाएं।
यदि आप शारीरिक तौर पर स्वस्थ्य हों तो मंगल दोष के निवारण के लिए कम से कम चार महीने में एक बार रक्तदान ज़रूर करें। ध्यान रखें की जिस दिन आप रक्तदान कर रहे हों वो दिन मंगलवार का ही हो।
मंगल दोष निवारण के लिए और मंगल ग्रह की शान्ति के लिए मंगल यंत्र की स्थापना करना भी लाभकारी साबित हो सकता है।
मांगलिक दोष से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से मंगल चंडिका श्रोत का पाठ करें।
रोज़ाना नियमित रूप से हनुमान चालीसा का जाप करें और चिड़ियों को दाना डालें।
इस दोष से मुक्ति के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखें और खाने में केवल दूध और केले का ही सेवन करें।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो 28 वर्ष की उम्र के बाद मंगल दोष का निवारण स्वयं हो जाता है।
मांगलिक दोष को दूर करने के लिए नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
मांगलिक दोष से जुड़े कुछ मिथक इस प्रकार हैं
मंगलवार के दिन पैदा होने वाला हर व्यक्ति मांगलिक नहीं होता। बहुत से लोगों के मन में इस बात को लेकर भ्रम है की जिन लोगों का जन्म मंगलवार के दिन होता है वो विशेष रूप मांगलिक होते ही हैं।
मांगलिक दोष के निवारण के लिए पेड़ से शादी करवाना लाभदायक होता है। हमारे समाज में मंगल दोष के निवारण के लिए लोग पेड़ से शादी करवाना लाभकारी मानते हैं। लेकिन असल में ये नियम उन लोगों के लिए ही लाभकारी होता है जिनकी फिर से शादी होती है और पहली शादी में मंगल दोष के दुष्परिणाम मिलते हैं।
मांगलिक व्यक्ति की शादी अमांगलिक से नहीं हो सकती। जिस व्यक्ति में मांगलिक दोष विद्यमान होते हैं उसके लिए विशेष रूप से मांगलिक जीवनसाथी की ही तलाश की जाती है। हालाँकि इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है की उनकी शादी अमांगलिक से नहीं हो सकती।
विवाह से पूर्व मंगल दोष निवारण के लिए करें ये उपाय
जैसा की आप सभी जानते हैं की मंगल दोष का सीधा संबंध व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से है, लिहाजा मंगल दोष का निवारण विवाह से पहले कर लेना चाहिए। मांगलिक लड़के लड़कियों के लिए शादी से पहले मांगलिक दोष को लेकर बहुत से विचार लोगों के मन मस्तिष्क में आते हैं जिनमें से कुछ सच भी होते और कुछ झूठ भी। आज हम आपको शादी से पहले मंगल दोष निवारण के लिए कुछ विशेष उपाय बताने जा रहे हैं जिसे आज़मा कर मंगल दोष से निजात पाया जा सकता है।
मांगलिक लड़कियों के लिए विवाह से पहले निम्नलिखित उपाय किया जाना चाहिए :
शादी से पहले यदि मांगलिक लड़की का विवाह पीपल के पेड़ से करवाया जाए तो ऐसा माना जाता है की इससे मंगल दोष का निवारण होता है। इस तरह के विवाह को शास्त्रों में अश्वत्थ विवाह भी कहा जाता है। मंगल दोष को दूर करने के लिए पीपल या बरगद के पेड़ से विवाह करवाकर उस पेड़ को कटवा दिया जाता है।
अक्सर ऐसा भी देखा जाता है की मंगल दोष को दूर करने के लिए लोग विशेष रूप से लड़की की शादी केले, तुलसी या अन्य पेड़ से भी करवा देते हैं। लेकिन ये हमारे शास्त्र में वर्णित नियमों के खिलाफ है। इस दोष के निवारण के लिए केवल पीपल या फिर बरगद के पेड़ का ही प्रयोग किया जाता है।
इस दोष को दूर करने के लिए शादी से पहले लड़की का विवाह भगवान विष्णु की सोने की प्रतिमा से करवाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस विवाह के लिए विष्णु जी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि विधान के साथ संकल्प लेते हुए विवाह प्रक्रिया संपन्न करवाई जाती है।
मंगल दोष निवारण के लिए विष्णु विवाह को एक और तरीके से संपन्न किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को किसी कलश या कुंभ में स्थापित किया जाता है। इस प्रकार के विवाह को कुंभ विवाह भी कहा जाता है।
मांगलिक लड़कों के लिए विवाह से पहले निम्नलिखित उपाय किया जाना चाहिए :
मांगलिक लड़कों के मंगल दोष दूर करने के लिए शादी से पहले उनका विवाह अर्क के पौधे से करवाया जाता है।
अर्क विवाह शनिवार, रविवार और हस्त नक्षत्र में करवाया जाना बेहद प्रभावशाली माना जाता है।
ऐसी मान्यता है की यदि मांगलिक लड़के की शादी पहले अर्क वृक्ष से करवाई जाए तो इससे शादी में होने वाली देरी का भी निवारण होता है और विवाह के बाद दांपत्य सुखों में वृद्धि होती है।
इसके साथ ही मांगलिक लड़कों को नियमित रूप से मंगल दोष से निजात पाने के लिए हनुमान चालीसा का जाप ज़रूर करना चाहिए।
इस दोष से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाना भी बेहद प्रभावशाली होता है।
हम आशा करते हैं की मंगल दोष पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए लाभकारी साबित होगा।
मांगलिक दोष के उपायों के बारे में जानने से पहले ये जानना बेहद आवश्यक है की आखिर मांगलिक दोष होता क्या है। ज्योतिषीय आधार पर कहें तो जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव यानि की पहला भाव, चौथा भाव, सातवाँ भाव, आठवां भाव और बारहवें भाव में मंगल ग्रह उपस्थित हो तो, उस व्यक्ति को मांगलिक माना जाता है यानि की उसकी कुंडली में मंगल दोष होता है। इस दोष को विशेष रूप से शादी के लिए ख़ासा हानिकारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मंगल दोष का किसी व्यक्ति की कुंडली में होना उसके वैवाहिक जीवन में मुसीबतें पैदा कर सकता है। विवाह के बाद जीवन में आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए इस दोष का बेहतर उपाय ज़रूर कर लेना चाहिए।
इस प्रकार से लगाएँ मंगल दोष का पता
हमारे समाज में मंगल दोष को लेकर लोगों के मन में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियाँ हैं। अधिकाँश लोग ऐसा भी मानते हैं की जिनका जन्म मंगलवार के दिन होता है वो विशेष रूप से मांगलिक ही होते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा की ये महज एक मिथक है, जरूरी नहीं की मंगलवार के दिन पैदा होने वाले सभी लोग मांगलिक ही हों। विवाह के वक़्त लड़के लड़की की कुंडली मिलान के वक़्त इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है की, दोनों में से किसी की कुंडली में मंगल दोष तो नहीं है। होने वाले वर या वधु में से यदि किसी की कुंडली में भी मंगल दोष पाया जाता है तो उसे वैवाहिक जीवन के लिए नुकसानदेह माना जाता है। इस दोष को लेकर लोगों में ये भ्रम है की यदि कुंडली में ये दोष हो तो विवाह के बाद शादीशुदा जोड़े को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन वास्तविकता की बात करें तो शादी के बाद जीवन में आने वाली मुसीबतों के लिए केवल मंगल दोष ही एक मात्र कारण नहीं है। आईये ज्योतिषीय आधार पर जानते हैं की कुंडली में मंगल दोष का होना कब आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के लग्न भाव यानि की प्रथम भाव में मंगल स्थित हो तो ऐसी स्थिति में मंगल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और उसे स्वभाव से जिद्दी बनाता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में मंगल की उपस्थिति होती है तो जीवन में सुख संसाधनों की कमी रहती है। इसके साथ ही विवाह के बाद वैवाहिक जीवन को भी ये प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है।
अब यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में मंगल स्थित हो तो इसका प्रभाव उस व्यक्ति की आजीविका के साधनों और दांपत्य जीवन पर परस्पर रूप से पड़ता है।
यदि व्यक्ति के आठवें भाव में मंगल की स्थिति हो तो, ऐसी स्थिति में विवाह के बाद पति पत्नी में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
यदि व्यक्ति की कुंडली के बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो, ऐसे में मंगल का बुरा प्रभाव व्यक्ति के दांपत्य जीवन के साथ ही साथ उसके आर्थिक जीवन पर भी पड़ता है।
मंगल दोष किसी की कुंडली में होना चिंता का विषय तब बन जाता है जब मंगल ग्रह की उपस्थिति व्यक्ति की कुंडली के आठवें भाव में हो। इस भाव में मंगल ग्रह का होना मांगलिक दोष को विशेष रूप से सशक्त बना देता है क्योंकि इसके प्रभाव से विवाह के बाद शादीशुदा जोड़े में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
इस प्रकार से करें मांगलिक दोष का निवारण
मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन गणेश जी को लाल फूल चढ़ाते हुए “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाएं।
यदि आप शारीरिक तौर पर स्वस्थ्य हों तो मंगल दोष के निवारण के लिए कम से कम चार महीने में एक बार रक्तदान ज़रूर करें। ध्यान रखें की जिस दिन आप रक्तदान कर रहे हों वो दिन मंगलवार का ही हो।
मंगल दोष निवारण के लिए और मंगल ग्रह की शान्ति के लिए मंगल यंत्र की स्थापना करना भी लाभकारी साबित हो सकता है।
मांगलिक दोष से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से मंगल चंडिका श्रोत का पाठ करें।
रोज़ाना नियमित रूप से हनुमान चालीसा का जाप करें और चिड़ियों को दाना डालें।
इस दोष से मुक्ति के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखें और खाने में केवल दूध और केले का ही सेवन करें।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो 28 वर्ष की उम्र के बाद मंगल दोष का निवारण स्वयं हो जाता है।
मांगलिक दोष को दूर करने के लिए नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
मांगलिक दोष से जुड़े कुछ मिथक इस प्रकार हैं
मंगलवार के दिन पैदा होने वाला हर व्यक्ति मांगलिक नहीं होता। बहुत से लोगों के मन में इस बात को लेकर भ्रम है की जिन लोगों का जन्म मंगलवार के दिन होता है वो विशेष रूप मांगलिक होते ही हैं।
मांगलिक दोष के निवारण के लिए पेड़ से शादी करवाना लाभदायक होता है। हमारे समाज में मंगल दोष के निवारण के लिए लोग पेड़ से शादी करवाना लाभकारी मानते हैं। लेकिन असल में ये नियम उन लोगों के लिए ही लाभकारी होता है जिनकी फिर से शादी होती है और पहली शादी में मंगल दोष के दुष्परिणाम मिलते हैं।
मांगलिक व्यक्ति की शादी अमांगलिक से नहीं हो सकती। जिस व्यक्ति में मांगलिक दोष विद्यमान होते हैं उसके लिए विशेष रूप से मांगलिक जीवनसाथी की ही तलाश की जाती है। हालाँकि इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है की उनकी शादी अमांगलिक से नहीं हो सकती।
विवाह से पूर्व मंगल दोष निवारण के लिए करें ये उपाय
जैसा की आप सभी जानते हैं की मंगल दोष का सीधा संबंध व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से है, लिहाजा मंगल दोष का निवारण विवाह से पहले कर लेना चाहिए। मांगलिक लड़के लड़कियों के लिए शादी से पहले मांगलिक दोष को लेकर बहुत से विचार लोगों के मन मस्तिष्क में आते हैं जिनमें से कुछ सच भी होते और कुछ झूठ भी। आज हम आपको शादी से पहले मंगल दोष निवारण के लिए कुछ विशेष उपाय बताने जा रहे हैं जिसे आज़मा कर मंगल दोष से निजात पाया जा सकता है।
मांगलिक लड़कियों के लिए विवाह से पहले निम्नलिखित उपाय किया जाना चाहिए :
शादी से पहले यदि मांगलिक लड़की का विवाह पीपल के पेड़ से करवाया जाए तो ऐसा माना जाता है की इससे मंगल दोष का निवारण होता है। इस तरह के विवाह को शास्त्रों में अश्वत्थ विवाह भी कहा जाता है। मंगल दोष को दूर करने के लिए पीपल या बरगद के पेड़ से विवाह करवाकर उस पेड़ को कटवा दिया जाता है।
अक्सर ऐसा भी देखा जाता है की मंगल दोष को दूर करने के लिए लोग विशेष रूप से लड़की की शादी केले, तुलसी या अन्य पेड़ से भी करवा देते हैं। लेकिन ये हमारे शास्त्र में वर्णित नियमों के खिलाफ है। इस दोष के निवारण के लिए केवल पीपल या फिर बरगद के पेड़ का ही प्रयोग किया जाता है।
इस दोष को दूर करने के लिए शादी से पहले लड़की का विवाह भगवान विष्णु की सोने की प्रतिमा से करवाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस विवाह के लिए विष्णु जी की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि विधान के साथ संकल्प लेते हुए विवाह प्रक्रिया संपन्न करवाई जाती है।
मंगल दोष निवारण के लिए विष्णु विवाह को एक और तरीके से संपन्न किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को किसी कलश या कुंभ में स्थापित किया जाता है। इस प्रकार के विवाह को कुंभ विवाह भी कहा जाता है।
मांगलिक लड़कों के लिए विवाह से पहले निम्नलिखित उपाय किया जाना चाहिए :
मांगलिक लड़कों के मंगल दोष दूर करने के लिए शादी से पहले उनका विवाह अर्क के पौधे से करवाया जाता है।
अर्क विवाह शनिवार, रविवार और हस्त नक्षत्र में करवाया जाना बेहद प्रभावशाली माना जाता है।
ऐसी मान्यता है की यदि मांगलिक लड़के की शादी पहले अर्क वृक्ष से करवाई जाए तो इससे शादी में होने वाली देरी का भी निवारण होता है और विवाह के बाद दांपत्य सुखों में वृद्धि होती है।
इसके साथ ही मांगलिक लड़कों को नियमित रूप से मंगल दोष से निजात पाने के लिए हनुमान चालीसा का जाप ज़रूर करना चाहिए।
इस दोष से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाना भी बेहद प्रभावशाली होता है।
हम आशा करते हैं की मंगल दोष पर आधारित हमारा ये लेख आपके लिए लाभकारी साबित होगा।
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